नई दिल्ली| नागरिक पुलिस वॉलिंटियर के रूप में कोलकाता की व्यस्त सड़क पर ट्रैफिक को कंट्रोल करने वाले दयानंद गरानी ने शायद कभी सोचा नहीं होगा कि वह विराट कोहली और दूसरे भारतीय बल्लेबाजों के सामने 22 गज की दूरी पर गेंद लेकर खड़े होंगे। ऑस्ट्रेलिया दौरे पर जाने वाली भारतीय टीम के दुबई के बायो-बबल में जब किसान पिता के 28 साल के इस बेटे ने थ्रो-डाउन स्पेशलिस्ट के रूप में प्रवेश किया तो उन्हें भी लगा कि सपने भी सच होते हैं।
पूर्वी मिदनापुर जिले के सूदूर गांव जमातिया के इस थ्रो-डाउन स्पेशलिस्ट ने दुबई से पीटीआई को फोन पर बताया, ”मुझे जब इस बारे में बताया गया था तब मैं हैरान रह गया था, इसे मानने में मुझे थोड़ा समय लगा। जब मैंने इस बारे में अपने पिता को बताया तो वह भी चौंक गए और उन्होंने मुझे आशीर्वाद दिया।”
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थ्रो-डाउन स्पेशलिस्ट का काम बल्लेबाजों को तेज गेंदबाजी के खिलाफ प्रैक्टिस कराना होता है। गरानी इंडियन प्रीमियर लीग के मौजूदा सत्र में किंग्स इलेवन पंजाब का हिस्सा है। टूर्नामेंट में टीम का अभियान खत्म होने के बाद वह भारत आने की तैयारी कर रहे थे तभी बीसीसीआई ने उनसे संपर्क कर के बताया कि वह ऑस्ट्रेलिया दौरे पर जाएंगे।
टीम के नियमित थ्रो-डाउन स्पेशलिस्ट रघवेन्द्र (रघु) कोविड-19 की चपेट में है। गरानी ने कहा कि अपने पूरे जीवन में मैंने देश की सेवा करने का सपना देखा है और मेरे लिए यह एक मौका है। मैंने कभी नहीं सोचा था कि यह इतनी जल्दी आएगा। उन्होंने आईपीएल के दौरान मुझमें कुछ देखा होगा। यह वास्तव में मेरी जिंदगी का अहम मोड़ है। आईपीएल कर तुलना में हालांकि इंटरनेशनल क्रिकेट में चुनौती बहुत बड़ी होगी लेकिन नागरिक पुलिस का चुनौतीपूर्ण काम करने वाले गरानी के लिए यह ज्यादा परेशान करने वाला नहीं होगा।
कोहली और भारतीय टीम के अन्य बल्लेबाजों को अभ्यास करने के लिए तैयार गरानी ने कहा कि मैं इस नई चुनौती के लिए सब कुछ कुर्बान करने को तैयार हूं। लगातार तीन घंटे तक 140 से अधिक की गति से गेंदबाजी (थ्रो-डाउन) करना मुश्किल काम है लेकिन गरानी इस चुनौती के लिए तैयार हैं।