सियाराम पांडे ‘शांत’
कोरोना संक्रमण को लेकर जिस तरह के अध्ययन आ रहे हैं, वे बेहद डरावने हैं। रिसर्च जर्नल लैंसेंट का दावा यह है कि कोरोना कावायरस हवा में फैलता है। मास्क, सेनेटाइजर और दो ज की दूरी जैसे उपाय बेहद नाकाफी हैं। अब दूसरे इंतजाम किए जाने चाहिए। एक और रिपोर्ट है कि कोरोना वायरस 24 धंटे में ही दोनों लंग्सखराब कर देता है। इस तरह की रिपोर्ट सेकौन नहीं घबराएगा।
कभी-कभी लगता है कि कोरोना का कहर दवा कंपनियों पर मेहर की तरह मालूम होता है। सरकारी सांठगांठ और भय तथा अफरातफरी के माहौल का लाभ लेकर वे अपने उत्पाद उतारकर अकूत मुनाफा कूट रही हैं। कोरोना के कहर के बीच तमाम दवा कंपनियों की कमाई बढ़ गयी है। तब जबकि आज तक सही मायने में और सीधे कोरोना की कोई दवा बाजार में नहीं है। कोरोनाकाल से दवा कंपनियां इतनी आशान्वित हैं कि वे अभी से 2021 से 2027 तक के मुनाफे का हिसाब लगाये बैठी हैं। उन्हें लगता है कि कोरोना और संबंधित दवाओं का बाजार जो विगत एक साल में तकरीबन 20 फीसदी बढ़ा है, वह अगले 6 वर्षों में 51 प्रतिशत से भी ज्यादा तेजी से बढ़ेगा।
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कोरोना के बेहतर निदान यानी जांच और इसका संक्रमण फैलने से रोकने वाले, इम्यूनिटी बढ़ाने वाले अवयवों का बाजार इस दवा बिजनेस के मुनाफे को दोबाला करेगा। अस्पतालों की फार्मेसी, सामान्य केमिस्ट और आॅनलाइन दवा विक्रेताओं के अलावा सरकारी खरीद सब मिलकर इस आपदा में चांदी काट रहे हैं, काटेंगे। यह एक अंतर्राष्टÑीय सर्वेक्षण से साफ होता है। मुनाफे का महान मौका ताड़कर तकरीबन दो दर्जन दिग्गज दवा कंपनियां इस मुनाफे की मारामारी में कूद पड़ी हैं। फलत: यूरोप, अमेरिका और चीन वगैरह मिलकर अगले दो महीने के भीतर कोरोना की 35 नयी दवाओं की आमद के आसार हैं। एक दवा का दावा है कि महज 24 घंटे में करोना से निजात दिला देगी। ये दवाएं करोना की विशिष्ट दवाएं हैं अथवा दूसरे रोगों की रीपरपज की गयी यह सब बाद की बात है। दवाओं की यह बाढ़ कोरोना को बहा पाये या नहीं पर दवा कंपनियां लाभ से आप्लावित हो जायेंगी यह तो तय है। इस मामले में भारतीय कंपनियां भी पीछे नहीं रहेंगी।
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कोरोना की घातक होती लहर ने एक बार फिर देश को पूरी तरह हिला दिया है। आम आदमी की लापरवाही और सरकार की चूक के कारण दूसरी लहर काल बनकर सिर पर मंडरा रही है। संकट के विकट हो जाने के बाद लगता है कि सरकार की नींद भी टूट गयी है और एक के बाद एक पाबंदियां लगाकर वायरस के प्रसार की गति को सीमित करने का प्रयास कर रही है। दरअसल अगर यही सतर्कता बनाये रखी जाती तो आज स्थिति इतनी विकट नहीं होने पाती, लेकिन दुर्भाग्य से संक्र मण का आंकड़ा घटते ही केन्द्र से लेकर तमाम राज्य सरकारों ने कोरोना को हराने के लंबे-चौड़े दावे करने शुरू कर दिये। सरकारें कोरोना को परास्त करने का जश्न मनाने लगीं और आम आदमी पूरी तरह लापरवाह हो गया। बस यही लापरवाही और आत्म मुग्धता जीवन पर संकट बनकर टूट पड़ी है
हालात इतने विकट हैं कि अस्पताल में सुचारू रूप से इलाज होने की बात तो दूर शमशान पर अंतिम संस्कार के लिए जद्दोजहद करनी पड़ रही है। किसी विद्वान ने बहुत सही कहा है कि आदमी दूसरों की गलतियों से नहीं सीखता है, बल्कि उसको स्वतंत्र रूप से ठोकर लगने की आवश्यकता पड़ती है। आज हम इसी मनोवृत्ति के शिकार हैं। चीन को छोड़कर दुनिया में जहां भी कोरोना की पहली लहर शांत हुई वहां कुछ दिन बाद दूसरी लहर जरूर आयी है। यही नहीं कई देश तो तीसरी, चौथी लहर से रू-ब-रू हैं। राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली ही चौथी लहर से दो-चार है और हर लहर पिछले से कहीं अधिक भयानक साबित हो रही है। महाराष्ट्र, दिल्ली, छत्तीसगढ़, गुजरात की ही तरह उत्तर प्रदेश भी दूसरी लहर से जूझ रहा है और हर दिन स्थिति बदतर होती जा रही है।
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उत्तर प्रदेश में तो कुछ ही दिन में कोरोना के आंकड़े प्रतिदिन 27 हजार तक पहुंच गये हैं और निश्चित रूप से जितने मामले सामने आ रहे हैं उस हिसाब से सबको चिकित्सा सुविधा देना बहुत बड़ी चुनौती है। चिंताजनक तथ्य यह भी है कि यह आंकड़े कहां तक जायेंगे इस बारे में भी भरोसे के साथ कुछ कहा नहीं जा सकता है। इसलिए संक्रमण को नियंत्रित करने के लिए आवश्यक पाबंदियां लगाने के अलावा कोई और विकल्प भी नहीं है। प्रदेश सरकार ने रात्रि कर्फ्यू लगा दिया है। यह पहले से ही चल रहा है। रात्रि नौ बजे से सुबह छह बजे तक कर्फ्यू लगाया गया था जिसे अब बढ़ाकर रात्रि आठ से सुबह सात बजे तक कर दिया गया है। इसी तरह मॉस्क को अनिवार्य बना दिया गया है। मॉस्क न लगाने पर 100 0 रुपये का जुर्माना लगेगा और अगर दूसरी बार बिना मॉस्क के पकड़े गये तो जुर्माना बढ़कर दस हजार हो जायेगा। रविवार को संपूर्ण उत्तर प्रदेश में कर्फ्यृ लगा दिया गया और परीक्षाओं को भी टाल दिया गया है।
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इन पाबंदियों से निश्चित रूप से कोरोना के प्रसार पर कुछ असर पड़ेगा लेकिन सरकार और जनता को इससे भी कठोर उपाय के लिए तैयार रहना होगा। क्योंकि कोरोना का प्रसार इतना तेज है कि तमाम पबांदियों कम साबित हो रही हैं। लॉकडाउन के कारण पिछले साल जो स्थिति खराब हुई थी उसमें अभी पूरी तरह से सुधार नहीं हुआ था। ऐसे में लॉकडाउन अब कोई विकल्प नहीं है, लेकिन फिर भी सप्ताह में दो दिन का लॉकडाउन, रात्रि कर्फ्यू के साथ ही अगर धारा 144 भी लगायी जाती है तो इससे कोरोना के प्रसार पर असर पड़ेगा, लेकिन इन पाबंदियों को लगाने से कहीं अधिक जरूरी यह है कि इनका पालन कराया जाये। जब तक ठीक से पालन नहीं होगा तब तक कोई फायदा नहीं होगा।