नई दिल्ली| कोरोना संकट में लोन मोरेटोरियम के बाद कर्ज पुनर्गठन के जरिये राहत देने की तैयारी शुरू हो गई है। भारतीय स्टेट बैंक समेत कई निजी और सरकारी बैंकों ने होम लोन के पुनर्गठन की रूपरेखा पर काम शुरू कर दिए हैं। सूत्रों के अनुसार, केवी कामथ समिति खुदरा पर ध्यान नहीं देगी। बैंकों को खुदरा कर्ज का पुनर्गठन करने के लिए खुद का प्रस्ताव तैयार करना होगा।
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हालांकि, लोन का पुनर्गठन का पूरा अधिकार बैंकों के पास होगा और ये विकल्प उन लोगों के लिए होंगे जिनकी आय कोरोना महामारी में बिल्कुल खत्म हो गई है या फिर वे वेतन कटौती या दूसरी दिक्कत से परेशान हैं। उल्लेखनीय है कि आरबीआई के गवर्नर शशिकांत दास ने मौद्रिक समीक्षा नीति की घोषणा करते हुए कर्ज पुनर्गठन सुविधा का ऐलान किया था।
बैंक सिर्फ होम लोन लेने वाले ग्राहक को ही नहीं बल्कि पर्सनल लोन वाले को राहत दे सकते हैं। ऐसा इसलिए कि आरबीआई ने जब घोषणा की थी तो पर्सनल लोन भी शामिल किया था। हालांकि, कहा था कि स्ट्रेस्ड पर्सनल लोन का रिजॉल्यूशन केवल उन उधारकर्ताओं के लिए उपलब्ध होगा जो 1 मार्च 2020 को 30 दिन से अधिक की चूक नहीं हुई है।
बैंकों का यह भी कहना है कि जबरन वसूली और संपत्ति सीज करने के लिए यह वक्त सही नहीं है। हालांकि, भारतीय रिजर्व बैंक ने सभी बैंकों को दो साल तक के लिए कर्ज की सीमा बढ़ाने की सुविधा दी है, लेकिन बैंकर्स का कहना है कि वह दो साल का मोराटोरियम नहीं दे सकते हैं।
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इसको ऐसे समझ सकते हैं कि अगर किसी ने ने 15 साल का होम लोन लिया और उसने रिजर्व बैंक की मोरेटोरियम सुविधा का इस्तेमाल किया है तो उसका लोन अपने आप ही 14 महीनों के लिए बढ़ जाएगा। होम लोन की दरें सात फीसदी से भी कम हो चुकी हैं और ऐसे में बैंक कह रहे हैं कि कर्ज पुनर्गठन कर के सस्ता ब्याज दर मुहैया कराना मुमकिन नहीं होगा। ऐसा करने से बैंकों की लगात बढ़ जाएगी।