जयपुर। राजस्थान हाईकोर्ट के जयपुर बेंच में आज एक बार फिर से बागियों की याचिका पर आगे की सुनवाई हो रही है। हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस इंद्रजीत मोहंती और जस्टिस प्रकाश गुप्ता की डिविजन बेंच सुनवाई कर रहे हैं। स्पीकर के वकील अभिषेक मनु सिंघवी हैं, जो स्पीकर का पक्ष रख रहे हैं। बता दें कि सचिन पायलट के नेतृत्व में 18 विधायकों ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का पुरजोर विरोध किया है। कांग्रेस के इसी बागी गुट को साधने के लिए राजस्थान विधानसभा के अध्यक्ष ने सचिन पायलट समेत 19 विधायकों को नोटिस दिया था। विधानसभा अध्यक्ष ने इन्हें अयोग्य ठहराने संबंधी कारण बताओ नोटिस जारी किया था जिसके खिलाफ बागी विधायकों ने हाईकोर्ट में याचिका दी थी।
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पायलट खेमे की ओर से बहस पूरी कर ली गई है। इस याचिका में पायलट खेमे के अधिवक्ता हरीश साल्वे ने दलील देते हुए कोर्ट को बताया था कि सभी नोटिस धारकों ने अपनी पार्टी के विरुद्ध कोई बयान नहीं दिया और ना ही ऐसा कोई काम किया, जिससे यह साबित किया जा सके कि इन्होंने पार्टी के खिलाफ कोई षड्यंत्र किया हो। किसी व्यक्ति विशेष के खिलाफ की गई टिप्पणी को पार्टी से नहीं जोड़ा जा सकता ऐसा करने से संविधान की धारा 19 (1) (क) के तहत अभिव्यक्ति की आजादी का उल्लंघन होता है ऐसे में यह नोटिस नहीं दिया जा सकता।
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इससे पहले शुक्रवार को याचिका पर सुनवाई करते हुए हाइकोर्ट ने 21 जुलाई शाम 5:30 बजे तक रोक लगा दी थी। इसका मतलब था कि तब तक विधानसभा के स्पीकर विधायकों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं कर सकेंगे। विधानसभा अध्यक्ष की तरफ से कांग्रेस नेता अभिषेक मनु सिंघवी पेश हुए थे।
विधानसभा अध्यक्ष को भेजी गई शिकायत में कांग्रेस ने पायलट और अन्य बागी विधायकों के खिलाफ संविधान की दसवीं अनुसूची के पैराग्राफ 2(1)(ए) के तहत कार्रवाई करने की मांग की है। इस प्रावधान के तहत अगर कोई विधायक अपनी मर्जी से उस पार्टी की सदस्यता छोड़ता है, जिसका वह प्रतिनिधि बनकर विधानसभा में पहुंचा है तो वह सदन की सदस्यता के लिए अयोग्य हो जाता है।