दिल्ली की साकेत कोर्ट ने ऑक्सीजन कंसेंट्रेटर्स की बरामदगी के मामले में नवनीत कालरा की अग्रिम जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए फैसला सुरक्षित रख लिया है। एडिशनल सेशंस जज संदीप गर्ग ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद कल यानि 13 मई को फैसला सुनाने का आदेश दिया।
नवनीत कालरा की ओर से वरिष्ठ वकील विकास पाहवा ने कहा कि हमें निष्पक्ष ट्रायल मिलना चाहिए। उन्होंने कहा कि आजकल कोर्ट में दोषी साबित होने से पहले सोशल मीडिया में आरोपी को दोषी साबित कर दिया जाता है। नवनीत कालरा को बदनाम करने की कोशिश की जा रही है। उन्होंने कहा कि एफआईआर में जो भी आरोप लगाए गए हैं वे पूरी तरह से गलत हैं। उन्होंने कहा कि कालरा के रेस्टोरेंट से जो ऑक्सीजन कंसेंट्रेटर्स की जब्ती की गई है वहां के मैनेजर और कर्मचारियों को भी बेवजह गिरफ्तार किया गया है।
पाहवा ने कहा कि ऑक्सीजन कंसेंट्रेटर के लिए जीएसटी चुकाया गया और कस्टम से क्लियरेंस भी ली गई। उन्होंने कहा कि आयात भी कानूनी प्रक्रिया के तहत हुआ और उसे बेचा भी ऐप के जरिये गया, ऐसे में ये ऑक्सीजन कंसेंट्रेटर अवैध कैसे हो गए। उन्होंने कहा कि ऑक्सीजन कंसेंट्रेटर तो पुलिस अफसरों ने भी खरीदा। नेताओं, जजों और कई लोगों ने खरीदा।
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पाहवा ने कहा कि पुलिस कह रही है कि ये महंगे दामों पर बेचे गए जबकि केंद्र सरकार ने आज तक ऑक्सीजन कंसेंट्रेटर को लेकर कोई कीमत तय नहीं की है। उन्होंने कहा कि कालरा के यहां 70 हजार रुपये का ऑक्सीजन कंसेंट्रेटर था लेकिन बाजार में ये दो लाख तक का बिक रहा है। ऑक्सीजन कंसेट्रेटर की कीमत उसके क्वालिटी और कितने लीटर का है इससे तय होते हैं। उन्होंने कहा कि अगर कोई वस्तु आवश्यक वस्तु अधिनियम के दायरे में लाई जाती है तो उसका रेट तय कर दिया जाता है और अगर कोई भी व्यक्ति सरकार के तय किये गए रेट से ज्यादा वसूलता है तो ये अपराध की श्रेणी में आता है।
लेकिन ऑक्सीजन कंसेंट्रेटर को इस दायरे में लाया ही नहीं गया। उन्होंने कहा कि एक तरफ हाई पावर्ड कमेटी कह रही है कि कोरोना महामारी के दौरान लोगों को गिरफ्तार नहीं करें। पुलिस इस दिशानिर्देश का पालन नहीं कर रही है। उन्होंने कहा कि इस मामले में गिरफ्तारी इसलिए की जा रही है ताकि कोरोना संकट के दौरान बाकी और चीजों से लोगों का ध्यान भटकाया जा सके।
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दिल्ली पुलिस की ओर से पेश वकील अतुल श्रीवास्तव ने कहा कि कालरा काफी प्रभावशाली है। आरोपी की ओर से पुलिस को बदनाम करने की कोशिश की जा रही है। उन्होंने अग्रिम जमानत याचिका खारिज करने की मांग की। श्रीवास्तव ने 1984 के दंगे के हाईकोर्ट के एक फैसले का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि 1984 दंगे के फैसले में कहा गया है कि असाधारण परिस्थिति में असाधारण कार्रवाई की जरूरत होती है। हम सबने पहले कभी भी कोरोना का संकट नहीं देखा है। सभी कठिन परिस्थिति में हैं। पुलिस को जांच करने में भी दिक्कत हो रही है।
श्रीवास्तव ने कहा कि एफआईआर दर्ज करने के पहले कई चीजों की बाढ़ आ गई थी। आरोपितों ने ब्रोशर के जरिये लोगों को लुभाया और कहा कि प्रीमियम पोर्टेबल ऑक्सीजन कंसेंट्रेटर्स बेच रहे हैं। आरोपितों ने कीमत 27,999 रुपये रखी थी। लेकिन इसे लोगों से 70 हजार रुपये में बेचा गया। ये कंसेंट्रेटर चीन का बना था लेकिन आरोपित इसे जर्मन बता रहे थे। आरोपितों ने लोगों के साथ फर्जीवाड़ा किया। सभी आरोपितों ने लाभ कमाने के लिए साजिश रची।
पहले यह मामला क्षेत्राधिकार के मामले में फंसा रहा। इस मामले पर चीफ मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट अरुण कुमार गर्ग ने सुनवाई की थी। बाद में डिस्ट्रिक्ट जज ने इसे सेशंस कोर्ट में दोबारा सुनवाई करने के लिए ट्रांसफर कर दिया। 10 मई को कोर्ट ने दिल्ली पुलिस को नोटिस जारी किया था। दिल्ली पुलिस नवनीत कालरा की तलाश कर रही है। बता दें कि दिल्ली पुलिस ने खान मार्केट के एक रेस्टोरेंट से ऑक्सीजन कंसेंट्रेटर बरामद किये थे। उसके बाद पुलिस ने छतरपुर में छापा मारकर एक आरोपित को गिरफ्तार किया था। दिल्ली पुलिस ने 387 ऑक्सीजन कंसेंट्रेटर मैट्रिक्स सेलुलर कंपनी के वेयरहाउस से बरामद किये थे।
पुलिस ने 6 मई को लोधी कालोनी के एक रेस्टोरेंट से 419 ऑक्सीजन कंसेंट्रेटर जब्त किये थे। दिल्ली पुलिस ने इस मामले में गौरव, सतीश सेठी, विक्रांत और हितेश को गिरफ्तार किया था। इन चारों ने मैट्रिक्स सेलुलर के छतरपुर स्थित वेयरहाउस का खुलासा किया था। 7 मई को दिल्ली पुलिस ने हाईकोर्ट को बताया था कि उसने रेस्टोरेंट से 105 ऑक्सीजन कंसेंट्रेटर बरामद किए हैं। इसके अलावा टाऊन हॉल नामक एक दूसरे रेस्टोरेंट से 96 ऑक्सीजन कंसेंट्रेटर जब्त किये गए थे।