उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री डा दिनेश शर्मा ने शनिवार को कहा कि सरकार ने प्रदेश के विश्वविद्यालयों में नई शिक्षा नीति के तहत परिवर्तन की नई श्रृंखला आरंभ की है जिसके बाद ऐसी व्यवस्था की जा रही है कि डिग्री हासिल करने के बाद विद्यार्थियों को रोजगार के लिए भटकना नहीं पडेगा।
राज्यपाल आनन्दीबेन पटेल की मौजूदगी में जननायक चन्द्रशेखर विश्वविद्यालय बलिया के दीक्षान्त समारोह को सम्बोधित करते हुए उन्होंने कहा कि इसके लिए गुणवत्तापरक व रोजगार परक शिक्षा प्रदान करने की व्यवस्था की गई है। पुराने पाठयक्रमों को बदला जा रहा है। शोध व नवाचार को उच्च शिक्षा के केन्द्र में रखा गया है।
उन्होने कहा कि दीक्षांत समारोह एक विशेष अवसर होता है जब विद्यार्थी अपने जीवन के एक महत्वपूर्ण पडाव को पार कर चुका होता है। वह अध्ययनशीलता के साथ अपने जीवन में शिक्षा की उच्च डिग्री को हासिल करता है। यह ऐसा अवसर होता है जब विद्यार्थी को शिक्षा देने वाले शिक्षक के मन में भी गर्व की अनुभूति होती है तथा विद्यार्थी भी हर्ष का अनुभव करता है। दीक्षान्त समारोह शिक्षा का अन्त नहीं है बल्कि यह प्राप्त किए गए ज्ञान के साथ नए जीवन का आरंभ है।
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डा शर्मा ने छात्र छात्राओं से कहा कि उन्होंने अभी तक जो भी शिक्षा हासिल की है उसे आज समाज को समर्पित करने का दिन है। आज यह प्रण लेने का दिन है कि आज तक जीवन में जो ज्ञान हासिल किया है उसे समाज की बेहतरी के लिए प्रयोग किया जाएगा। आज अपने समाज माता पिता व गुरुओं के प्रति दायित्व का बोध करने का भी दिन है।
उन्होंने कहा कि बलिया मोक्षदायिनी गंगा और तमहारिणी तमसा और सरयू की पावन जलधारा से घिरा हुआ है। यह भ्रगु ऋषि की तपोभूमि है जिसे कभी कभी बागी बलिया के नाम से भी पुकारा जाता है। देश का स्वर्णिम इतिहास रहा है। बलिया क्रान्तिकारियों व साहित्य अनुरागियों की की भूमि रही है। प्रथम स्वतंत्रता संग्राम का जब भी जिक्र होता है तो बलिया के मंगल पाण्डेय की नाम हमेशा ही गर्व के साथ लिया जाता है। इसी प्रकार आजादी के पूर्व देश को आजाद कराने की चर्चा चित्तू पाण्डेय के जिक्र के बिना अधूरी है। एक तरफ यह जय प्रकाश नारायण और चन्द्रशेखर की भूमि है तो दूसरी ओर हजारी प्रसाद द्विवेदी , डा दूधनाथ सिंह जैसे साहित्यकार भी इसी भूमि की शान हैं।