नई दिल्ली। दिल्ली पुलिस के स्पेशल सेल ने पत्रकार और फैक्ट चेक से जुड़ी वेबसाइट ऑल्ट न्यूज के संस्थापक मोहम्मद जुबैर (Zubair) के खिलाफ नई धाराएं जोड़ी हैं। स्पेशल सेल ने जुबैर के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 120बी, 201 और एफसीआरए की धारा 35 की धारा को भी जोड़ा है। आज जुबैर को पुलिस हिरासत अवधि खत्म होने पर पटियाला हाउस कोर्ट के चीफ मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट स्निग्धा सरवरिया की कोर्ट में पेश किया गया।
जुबैर (Zubair) की ओर से वकील वृंदा ग्रोवर और दिल्ली पुलिस की ओर से स्पेशल पब्लिक प्रोसिक्यूटर अतुल श्रीवास्तव पेश हो रहे हैं। कोर्ट आज जुबैर की जमानत याचिका पर भी सुनवाई करेगा। 28 जून को कोर्ट ने जुबैर को 02 जुलाई तक की पुलिस हिरासत में भेजा था। जुबैर को 27 जून को गिरफ्तार किया गया था। जुबैर ने पुलिस हिरासत के खिलाफ दिल्ली हाई कोर्ट का भी दरवाजा खटखटाया था। 01 जुलाई को जुबैर की याचिका पर सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट ने कोई भी राहत देने से इनकार कर दिया था। हाई कोर्ट ने दिल्ली पुलिस को नोटिस जारी किया था।
जुबैर की वकील वृंदा ग्रोवर ने कहा था कि दिल्ली हाई कोर्ट ने 2019 में जुबैर को सुरक्षा दी थी। उस मामले में दिल्ली पुलिस ने जांच संबंधी स्टेटस रिपोर्ट दाखिल किया था और कहा था कि जुबैर के ट्वीट में कुछ भी गलत नहीं है। ग्रोवर ने कहा कि एफआईआर नंबर 194/2020 में जुबैर को नोटिस के जरिये 27 जून को पूछताछ के लिए बुलाया गया। 27 जून की शाम पांच बजे पूछताछ शुरू हुई। पूछताछ के बाद जुबैर को गिरफ्तार कर लिया गया।
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वृंदा ग्रोवर ने कहा कि गिरफ्तार करने के बाद उसे ड्यूटी मजिस्ट्रेट के पास ले जाया गया जहां दिल्ली पुलिस ने सात दिन की हिरासत की मांग की। ड्यूटी मजिस्ट्रेट ने एक दिन की पुलिस हिरासत का आदेश दिया। ग्रोवर ने कहा कि एफआईआर में भारतीय दंड संहिता की धारा 153ए और 295 लगाई गई है। धारा 153 ए में अधिकतम तीन साल की सजा और धारा 295 में अधिकतम दो साल की सजा का प्रावधान है।
दिल्ली पुलिस ने कहा था कि आजकल फेमस होने के लिए धार्मिक विरोध का ट्रेंड बन गया है। आरोपित के मोबाइल से सारे ऐप डिलीट कर दिए गए हैं। ये खाली फोन लेकर आए थे। तब ग्रोवर ने कहा था कि ये दूसरा केस है। वो दूसरा था। हर केस में आरोपित को सुरक्षा मिली हुई है। उन्होंने कहा था कि दिल्ली पुलिस अगर आरोप लगा रही है, तो उसे बताए।
दिल्ली पुलिस ने कहा था कि शिकायतकर्ता महज एक सूचनाकर्ता है। वो अनाम नहीं है। उसका पूरा डिटेल मौजूद है। बिना डिटेल के कोई ट्विटर अकाउंट नहीं चला सकता है। उससे लैपटॉप और वो उपकरण रिकवर करना है जहां से ये पोस्ट की गई हैं। आरोपित जांच में सहयोग नहीं कर रहा है। इसलिए पुलिस को पूछताछ के लिए पांच दिन की रिमांड दी जाए।
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पुलिस के मुताबिक जुबैर को 27 जून को पूछताछ के लिए बुलाया गया था। पूछताछ के बाद 27 जून की शाम को जुबैर को गिरफ्तार कर लिया गया। उसके बाद रात में ही ड्यूटी मजिस्ट्रेट के बुराड़ी स्थित आवास पर पेश किया गया था जहां ड्यूटी मजिस्ट्रेट ने एक दिन की पुलिस हिरासत में भेजने का आदेश दिया था।