लखनऊ। कांग्रेस के पूर्व सांसद प्रमोद तिवारी ने रविवार को कहा कि चार साल पहले नरेन्द्र मोदी सरकार द्वारा की गयी नोटबन्दी एक संगठित और वैधानिक लूट थी, जिससे देश की 125 करोड़ जनता की कमर टूट गयी। इससे अर्थव्यवस्था भी चौपट हो गयी है।
श्री तिवारी ने यहां पत्रकारों से कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा की गयी नोटबन्दी देश की 125 करोड़ जनता, गरीब, किसान, मध्यम वर्ग, महिलाओं और युवाओं की आकांक्षाओं, इच्छाओं और उनके भविष्य के साथ विश्वासघात थी। पूरे देश में कांग्रेस नोटबन्दी को लेकर ‘विश्वासघात दिवस’ मना रही है। यह विश्वासघात श्री मोदी और उनकी सरकार का देश की जनता के साथ, अर्थव्यवस्था के साथ और भारत की सुरक्षा के साथ था।
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उन्हाेंने कहा कि नोटबन्दी से प्रधानमंत्री मोदी के कुछ पूंजीपति मित्रों और भाजपा को ही फायदा पहुंचा। उन्होने उस समय राज्यसभा में दिये गये अपने भाषण को उद्धृत करते हुए कहा कि यह देश की जनता के साथ संगठित लूट थी। पूर्व प्रधानमंत्री डा मनमोहन सिंह ने इसे वैधानिक लूट करार दिया था।
श्री तिवारी ने कहा कि नोटबन्दी की वजह से ही आज देश 47 सालों में सर्वाधिक बेरोजगारी की स्थिति से गुजर रहा है। जीडीपी रसातल में पहुंच गयी है। मजदूरों का पलायन जो कोरोना काल में हुआ है उसकी सबसे बड़ी वजह नोटबन्दी ही है। नोटबन्दी से कई प्रदेशों की अर्थव्यवस्था टूट गयी और प्रवासी श्रमिकों को अत्यधिक दिक्कतों का सामना करना पड़ा।