केंद्रीय शिक्षा मंत्री डॉ़ रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ ने कहा है कि हम सभी को यह, याद रखना चाहिए कि हमारे योग्य वास्तुकार, योजनाकार और डिजाइनर न केवल हमारी बस्तियों को आकार देते हैं बल्कि हमारी सभ्यताओं और संस्कृतियों को भी आकार देते हैं।
ये लोग विकास के दर्शन को लागू करने और उसे वास्तविक बनाने के लिए जमीन पर लोगों के साथ जुड़ते एवं सहयोग करते हैं।
डॉ़ निशंक ने आज यहाँ ऑनलाइन माध्यम से योजना एवं वास्तुकला विद्यालय (एसपीए), भोपाल, में नए शैक्षणिक भवन का भूमि पूजन एवं शिलान्यास करते हुए कहा, “संस्थान के प्रतीक चिन्ह की तरह इस भवन का डिज़ाइन भी मालवा के मांडू में स्थित नीलकंठ महादेव मंदिर के स्पाइरल जलधारा से प्रेरित है। मेरा मानना है कि इस भवन के निर्माण के माध्यम से न केवल इस संस्थान की वर्तमान और भविष्य की जरूरतें पूरी होंगी अपितु राष्ट्रीय शिक्षा नीति की परिकल्पनाओं को साकार करते हुए वास्तुकला स्टूडियो के निर्माण में भी सहायता प्राप्त होगी।”
उन्होंने शैक्षणिक ब्लॉक की संरचना की प्रशंसा करते हुए कहा कि यह भारतीय वास्तुकला की श्रेष्ठता को दर्शाती है। ऐतिहासिक और सांस्कृतिक प्रभावों के माध्यम से भारतीय वास्तुकला पर गहरा असर पड़ा है। हमारे देश में स्मारकों और मंदिरों की भव्यता अपने युग की गाथा सुनाते हैं। यह आश्चर्य की बात है कि हमारे देश के भीतर कई स्थापत्य शैलियां हमें विरासत में मिली हैं।
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उन्होंने एसपीए की प्रशंसा करते हुए कहा कि इस संस्थान ने भारत की स्थापत्य शैली को आगे बढ़ाया है और इसको ‘कल्पना विश्वविद्यालय’ के रूप में विकसित किया जा रहा है, जहां सभी हितधारकों – छात्रों, शोधकर्ताओं, प्रोफेसरों और बड़े पैमाने पर समाज के बीच जिज्ञासा की भावना प्रबल होगी। एसपीए वास्तुकला योजना और डिजाइन के अनुशासन के माध्यम से सार्वभौमिक डिजाइन, संरक्षण तथा पर्यावरणीय जीविका, सांस्कृतिक जीविका और सामाजिक जीविका के लिए प्रयास करेगा।
डॉ़ निशंक ने कहा कि यह अत्यंत उत्साहजनक है कि कोविड के समय में भी एसपीए, भोपाल ने सौर ऊर्जा पैनल (249 किलोवाट) स्थापित कर के अपने कैंपस को ‘आत्मनिर्भर’ बनाया और साथ ही कैंपस की झीलों का जीर्णोद्धार करते हुए बांस के वृक्षारोपण के साथ सघन जल संचयन का संचालन भी किया है। निश्चय ही यह ‘कल्पना विश्वविद्यालय’ विकसित करने के उत्साह के कारण ही संभव हो पाया है।
उन्हों ने कहा, “एसपीए के पूर्व छात्रों ने न केवल संस्थान के ब्रांड एंबेसडर के रूप में काम किया है, बल्कि भारत के पारंपरिक और समकालीन मूल्यों के प्रतिबिंब भी रहे हैं। ”
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डॉ़ निशंक ने इस बात पर हर्ष व्यक्त किया कि एसपीए राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अनुरूप काम कर रहा है। उन्होंने कहा, “मुझे खुशी है कि एसपीए, भोपाल राष्ट्रीय शिक्षा नीति की मंशाओं के अनुरूप योजना, वास्तुकला और डिजाइन के क्षेत्र में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के साथ भारत और पूरी दुनिया में मौजूदा शिक्षण संरचनाओं को बढ़ा रहा है। संस्थान द्वारा शिक्षा नीति के साथ कदम-कदम मिलाकर चलने की इस प्रतिबद्धता की हम सराहना करते हैं।”
केंद्रीय मंत्री ने समावेशी और आत्मनिर्भर भविष्य के निर्माण के लिए सभी का आह्वान करते हुए कहा, “राष्ट्र-निर्माण और विकासात्मक लक्ष्यों की दिशा में योगदान देने हेतु भविष्य के पेशेवरों के रूप में छात्रों की एक विशेष भूमिका होगी इसके लिए यह आवश्यक है कि वे जमीनी तौर पर लोगों के साथ जुड़े, सहयोग करें तथा सीखें।
डॉ़ निशंक ने छात्रों को प्रेरित करते हुए कहा कि आपको भारत की विभिन्न परंपराओं और संस्कृतियों की बौद्धिक संपदा से सीख लेनी चाहिए। साथ ही उभरते हुए शहरीकरण की चुनौतियों के समाधान के अलावा ग्रामीण विकास पर भी आपको अपना ध्यान केंद्रित करना चाहिए। समावेशी विकास का प्रत्येक स्तंभ आपके ही हाथों से निर्मित होगा।