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प्रतिबंध के बावजूद रेप पीड़िता का हुआ टू-फिंगर टेस्ट, महिला आयोग ने बताया शर्मनाक

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रेप पीड़िता के लिए टू-फिंगर टेस्ट दोबारा रेप के समान है। इस पर प्रतिबंध के बावजूद एयरफोर्स की एक महिला अधिकारी का टू-फिंगर टेस्ट किया गया, जिस पर महिला आयोग ने कड़ी आपत्ति जताई है। महिला आयोग की अध्यक्ष रेखा शर्मा ने एयर चीफ मार्शल को पत्र भी लिखा है और इस मामले पर कार्रवाई की मांग की है।

बता दें, रेप की पुष्टि के लिए टू-फिंगर टेस्ट किया जाता है। इस पर सुप्रीम कोर्ट प्रतिबंध लगा चुका है। सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि इस टेस्ट से रेप की पुष्टि नहीं की जा सकती।

क्योंकि, इससे यह स्पष्ट नहीं होता कि पीड़िता पहले से सेक्सुअली एक्टिव थी या फिर उसके साथ रेप हुआ है। 2014 में इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च ने भी टू-फिंगर टेस्ट को अवैज्ञानिक करार दिया था।

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टू-फिंगर टेस्ट को लेकर कई बार आलोचना भी हो चुकी है। इसके बाद भी महिला अधिकारी का यह टेस्ट किया गया। इस पर महिला आयोग ने इसे शर्मनाक हरकत बताया है। महिला आयोग ने कहा कि एयरफोर्स के अधिकारियों को पता होना चाहिए कि इस टेस्ट पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगाई है। आयोग ने कहा कि यह महिला अधिकारी की गरिमा व निजता का हनन है।

एयरफोर्स की महिला अधिकारी ने एक अन्य अधिकारी पर रेप का आरोप लगाया था। महिला अधिकारी का कहना था कि उसके साथ एयरफोर्स एडमिनिस्ट्रेटिव कॉलेज में ही रेप किया गया। इस घटना की कोयंबटूर जिले में एफआईआर भी दर्ज कराई गई थी, जिसके बाद आरोपी फ्लाइट लेफ्टिनेंट ने पुलिस के सामने सरेंडर भी कर दिया था। फिलहाल आरोपी पुलिस की गिरफ्त में है।

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