कार्तिक मास में दिवाली के 15 दिन बाद देव दीपावली (Dev Deepawali) का त्योहार मनाया जाता हैं। इस बार यह त्योहार कार्तिक मास की पूर्णिमा के दिन 15 नवंबर को है। इसे त्रिपुरारी पूर्णिमा या कार्तिक पूर्णिमा भी कहा जाता है। इस दिन घाटों पर दीप जलाए जाते हैं और गंगा नदी (Ganga) की आरती की जाती है। देव दिवाली देवताओं की दिवाली है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, इस त्योहार में दुष्ट राक्षस त्रिपुरासुर के खिलाफ भगवान शिव की विजय का जश्न मनाता जाता है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन भगवान शिव ने राक्षस को हराया था, और इसलिए, देव दिवाली को त्रिपुरा उत्सव के रूप में भी जाना जाता है।
ज्योतिषीय संयोग
इस बार देव दिवाली (Dev Deepawali) पर विशेष ज्योतिषीय संयोग बन रहे हैं, जो कई राशियों पर रचनात्मक प्रभाव डाल सकते हैं।
गजकेसरी योग
इस दिन चंद्रमा वृषभ राशि में स्थित है और गुरु के साथ मिलकर गजकेसरी योग का निर्माण कर रहा है।
शनि कुंभ राशि में रहकर राजयोग बना रहा है।
नवपंचम राजयोग
मंगल कर्क राशि में स्थित होकर मीन राशि में राहु के साथ नवपंचम राजयोग का निर्माण कर रहा है। ये दुर्लभ योग कुछ राशियों के लिए विशेष लाभकारी हो सकते हैं।
वृषभ राशि
वृषभ राशि के जातकों के लिए इस देव दिवाली (Dev Deepawali) का समय काफी अनुकूल है। चंद्रमा और गुरु की युति से बने गजकेसरी योग के प्रभाव से आपके लिए नए अवसरों की प्राप्ति हो सकती है। खासतौर पर कार्यक्षेत्र में उन्नति के संकेत मिल रहे हैं। इसके साथ ही परिवार और रिश्तों में भी सकारात्मकता बनी रहेगी और कोई अच्छा समाचार मिल सकता है।
मिथुन राशि
मिथुन राशि के जातकों के लिए इस देव दिवाली (Dev Deepawali) पर शनि और गुरु का संयोग विशेष रूप से भाग्य वृद्धि का संकेत दे रहा है। कुंभ राशि में स्थित शनि का प्रभाव आपकी किस्मत को मजबूत बना सकता है। इस समय आपका भाग्य आपके साथ है और आपके रुके हुए कार्य तेजी से पूरे हो सकते हैं।
कुंभ राशि
कुंभ राशि के जातकों के लिए देव दिवाली (Dev Deepawali) का पर्व संतान सुख और सफलता का संकेत दे रहा है। इस राशि में स्थित शनि और गजकेसरी योग का प्रभाव आपके जीवन में खुशियों का संचार करेगा। करियर में भी नई ऊंचाइयां प्राप्त हो सकती हैं।