आश्विन माह की पूर्णिमा, शरद पूर्णिमा पर बुधवार को हजारों श्रद्धालुओं ने पवित्र गंगा में आस्था की डुबकी लगा दान पुण्य किया। स्नान ध्यान के बाद श्रद्धालुओं ने महालक्ष्मी सहित प्रमुख देवी मंदिरों में भी हाजिरी लगाईं।
पूर्णिमा का स्नान करने के लिए भोर से ही श्रद्धालु दशाश्वमेध घाट सहित प्रमुख घाटों पर सुविधानुसार पहुंचने लगे। स्नान ध्यान का सिलसिला अलसुबह से दिन चढ़ने तक चलता रहा। पूर्णिमा पर गढ़वाघाट आश्रम में भी दमा का दवा लेने के लिए श्रद्धालु आश्रम पहुंचते रहे। आश्रम में श्री श्री 108 स्वामी सरना नंद महाराज ने कतारबद्ध श्रद्धालुओं में दवा वितरण किया।
पुराणों में वर्णित है, शरद पूर्णिमा के दिन मां लक्ष्मी भगवान विष्णु के साथ गरूड़ पर बैठकर पृथ्वी लोक में भ्रमण के लिए आती हैं। इतना ही नहीं इस दिन मां लक्ष्मी घर-घर जाकर भक्तों पर कृपा बरसाती हैं और वरदान देती हैं। कहते हैं कि जिस घर में अंधेरा या जो सोता रहता है, वहां माता लक्ष्मी दरवाजे से ही लौट जाती हैं। मां लक्ष्मी की कृपा से लोगों को कर्ज से मुक्ति मिलती है। यही कारण है कि इसे कर्ज मुक्ति पूर्णिमा भी कहते हैं।
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शास्त्रों के अनुसार, इस दिन पूरी प्रकृति मां लक्ष्मी का स्वागत करती है। कहते हैं कि इस रात को देखने के लिए समस्त देवतागण भी स्वर्ग से पृथ्वी आते हैं। ऐसी मान्यता है कि शरद पूर्णिमा की रात अमृत वर्षा होती है, इसलिए चंद्रमा की रोशनी में खीर बनाकर रखने का खास महत्व है। आज के दिन चांदी के बर्तन में चंद्रमा की रोशनी में खीर रखने को काफी शुभ माना जाता है। इस खीर का सेवन करने से स्वास्थ्य ठीक रहता है और रोग प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ती है।