कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर बिहार में हजारों की संख्या में श्रद्धालुओं ने आज गंगा-गंडक के संगम समेत विभिन्न नदियों और सरोवरों में आस्था की डुबकी लगायी।
हिंदू धर्म में कार्तिक पूर्णिमा का विशेष महत्व माना जाता है। कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को कार्तिक पूर्णिमा कहते हैं। इस दिन पवित्र नदी में स्नान कर के दीपदान एवं दान करने का खास महत्व होता है। इस दिन भगवान शिव ने त्रिपुरासुर का अंत किया था। इसी कारण से इसे त्रिपुरी पूर्णिमा भी कहते हैं, जिसकी खुशी में देवताओं ने हजारों दीप जलाकर दिवाली मनाई थी। जो आज भी देव दिवाली के रूप में मनाई जाती है। साथ ही सिखों के लिए भी ये दिन खास होता है क्योंकि इस दिन गुरु नानक जयंती होती है।
इस दिन को दामोदर के नाम से भी जाना जाता है। यह भगवान विष्णु का ही एक नाम है। कार्तिक पूर्णिमा का दिन काफी पवित्र और शुभ माना जाता है। इस दिन पवित्र नदियों में स्नान करने से पुण्य फल की प्राप्ति होती है।
कोरोना संक्रमण केे इलाज का खर्च बेकाबू, सरकार बेबस, मरीज लाचार
पटना का कोई भी ऐसा गंगा घाट नहीं है जहां हजारों की संख्या में श्रद्धालु स्नान नहीं कर रहे हैं। सुबह से ही गंगा घाटों पर लोगों की भीड़ देखी गई। देश के कई राज्यों में कोरोना की वापसी और बिहार में संक्रमण के बढ़ते मामलों को देखते हुए सरकार और प्रशासन लगातार लोगों से अपील कर रहा है कि किसी भी भीड़ भाड़ वाली जगह में जाने से परहेज करें।
सरकार के साथ पंडित एवं पुरोहितों ने भी श्रद्धालुओं से घर पर ही कार्तिक स्नान निष्ठा के साथ करने की अपील की है। प्रशासन ने लोगों से अपील की थी कि वह भीड़भाड़ से बचें और मास्क जरूर लगाएं लेकिन बावजूद इसके लोग गंगा घाट तक पहुंचे और स्नान करते नजर आए है।