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एक भारत-श्रेष्ठ भारत की भावना के वृहद स्वरूप को दर्शाने का माध्यम बनेगा जनजातीय गौरव उत्सव

Birsa Munda

Birsa Munda

लखनऊ। उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में राष्ट्रीय जनजातीय भागीदारी दिवस के संबंध में पूर्वालोकन कार्यक्रम का आयोजन किया गया। सोमवार को लोकभवन के सभागार में आयोजित प्रेस वार्ता के माध्यम से इस विषय में जानकारी दी गई जिसमें पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री जयवीर सिंह तथा राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) समाज कल्याण विभाग असीम अरुण ने कार्यक्रम की रूपरेखा पर विस्तार से चर्चा की। इस अवसर पर कार्यक्रम का पोस्टर भी जारी किया गया। उल्लेखनीय है कि राष्ट्रीय जनजातीय भागीदारी दिवस के उपलक्ष्य में जनजातीय गौरव उत्सव का आयोजन ‘एक भारत-श्रेष्ठ भारत’ की भावना को वृहद रूप से दर्शाने का माध्यम बनेगा। यह न केवल कल्चरल एक्सचेंज को बढ़ावा देगा बल्कि विभिन्न जनजातीय संस्कृतियों के बारे में लोगों को अवगत कराने का माध्यम बनेगा।

धरती आबा बिरसा मुंडा (Birsa Munda) का आराध्य देव के तौर पर सम्मान

जयवीर सिंह ने कार्यक्रम की रूपरेखा के बारे में जानकारी साझा करते हुए कहा कि जैसा कि हम सब लोग अवगत हैं कि भारतीय सभ्यता व संस्कृति में हमारी जनजातियों का विशेष स्थान न केवल प्रदेश बल्कि पूरे देश में हैं। उत्तर प्रदेश में भी इनका विशेष महत्व रहा है। चाहें आजादी की लड़ाई रही हो, या उससे पहले का कार्यकाल रहा हो, जो भी राष्ट्रहित के संघर्ष हुए हैं उसमें अनुसूचित जनजातियों का, दबे-कुचले, शोषित व वंचित समाज का अतुलनीय योगदान राष्ट्रीय अखंडता को लेकर रहा है। जनजातियों के लोकनायक बिरसा मुंडा जी (Birsa Munda) को भगवान की तरह पूजा जाता है और आराध्य देव के तौर पर सम्मान देने का कार्य किया जाता है।

पूरे प्रदेश में जनजातीय गौरव पखवाड़े का आयोजन

2022 में सरकार के द्वारा लोक नायक बिरसा मुंडा जी (Birsa Munda) की जयंती को जनजातीय गौरव दिवस के तौर पर घोषित किया गया है। इसी के क्रम में, हम अपने पूरे प्रदेश में 1 नवंबर से 15 नवंबर के बीच जनजातीय गौरव पखवाड़ा मनाने का काम कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि हमारी सरकार के द्वारा प्रत्येक जिले में जिलाधिकारी के माध्यम से कार्यक्रम आयोजित करने का निर्देश दिया गया है। समाज कल्याण विभाग इसमें नोडल के दायित्व की भूमिका निभाएगा। इसी परंपरा को आगे बढ़ाने का काम राष्ट्रीय स्तर पर भी हमारे शीर्ष नेतृत्व द्वारा किया जा रहा है।

लखनऊ के आईजीपी में होगा बड़ा आयोजन

लखनऊ में गौरव दिवस के पुनीत अवसर पर 1 नवंबर से 18 नवंबर 2025 तक इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान में कार्यक्रम का आयोजन होगा। इसमें राष्ट्रीय जनजाति भागीदारी उत्सव के रूप में 13 से 18 नवंबर के मध्य 6 दिवसीय कार्यक्रम का आयोजन किया जाएगा। जयवीर सिंह ने बताया कि यह राष्ट्रीय जनजाति भागीदारी के उत्सव का आयोजन यह जनजाति विकास विभाग उ.प्र, लोक एवं जनजाति संस्कृति संस्थान, ट्राइबल रिसर्च इंस्टीट्यूट (टीआरआई) के तथा पर्यटन व संस्कृति विभाग के माध्यम से संयुक्त तत्वावधान में 6 दिवसीय आयोजन इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान (आईजीपी) में कराया जा रहा है। एक भारत-श्रेष्ठ भारत के तहत इसमें अरुणाचल प्रदेश भागीदारी राज्य की भूमिका निभाएगा तथा मेघालय व मणिपुर भी सम्मिलित रहेंगे। यह कार्यक्रम विभिन्न संस्कृतियों को जोड़ने का कार्य करेगा। कार्यक्रम में सम्मिलित अतिथियों को भाषायी दिक्कत का सामना न करना पड़े इसके लिए अनुवादकों को भी उनके साथ नियुक्त किया जाएगा।

कल्चरल एक्सचेंज को मिलेगा बढ़ावा

उन्होंने जानकारी दी कि कल्चरल एक्सचेंज प्रोग्राम के तहत कार्यक्रम में विभिन्न प्रकार के आयोजन होंगे। इसमें आईजीपी में 11 बजे प्रातः से मेले व प्रदर्शनी का आयोजन होगा। वहीं, शाम को प्रतिदिन 5 बजे से 9 बजे के बीच निशुल्क रूप से सांस्कृतिक प्रस्तुतियों का आयोजन किया जाएगा। उन्होंने कहा कि हमारे विभिन्न सहभागी दलों के द्वारा यह प्रस्तुतियां दी जाएंगी। 18 राज्यों के 600 से ज्यादा कलाकार कल्चरल एक्टिविटीज का प्रदर्शन करेंगे। कारीगर व शिल्पकार अपना स्टॉल लगाएंगे। यह चौथा कार्यक्रम होगा। दो कार्यक्रम पूर्व में आयोजित किया जा चुका है। एक कार्यक्रम सोनभद्र में आयोजित कर रहे हैं जबकि दूसरा कार्यक्रम आईजीपी में होगा। 15 नवंबर को इस कार्यक्रम में मुख्यमंत्री भी प्रतिभाग करेंगे। मुख्यमंत्री जी स्वयं ही जनजातीय बाहुल्य जिला है, जो प्राकृतिक व अन्य पहलुओं के लिहाज से बेहद महत्वपूर्ण जिला है, वहां के कार्यक्रम में मुख्यमंत्री जी स्वयं रहने वाले हैं। 15 नवंबर को इस कार्यक्रम में मुख्यमंत्री भी प्रतिभाग करेंगे। मुख्यमंत्री जी स्वयं ही जनजातीय बाहुल्य जिला है, जो प्राकृतिक व अन्य पहलुओं के लिहाज से बेहद महत्वपूर्ण जिला है, वहां के कार्यक्रम में मुख्यमंत्री जी स्वयं रहने वाले हैं।

प्रधानमंत्री मोदी गडचिरौली में आयोजित कार्यक्रम में लेंगे हिस्सा

असीम अरुण ने आगे जानकारी देते हुए बताया कि जो कार्यक्रमों की शृंखला है उसे तीन हिस्से में बांटा जा सकता है। 13 से लेकर 18 तारीख तक नवंबर में आईजीपी में जनजातीय गौरव उत्सव मनाया जाएगा। ये धरती आबा भगवान बिरसा मुंडा (Birsa Munda) के 150वीं जयंती के उपलक्ष्य में आयोजित की जा रही है। सोनभद्र के चोपन में 15 तारीख को भव्य कार्यक्रम आयोजित किया जाएगा। इसमें बड़ी जनसभा, उत्सव इत्यादि का आयोजन किया जाएगा जिसमें मुख्यमंत्री मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहेंगे। इसी दिन प्रधानमंत्री जी गडचिरौली में आयोजित कार्यक्रम में सम्मिलित होंगे जिसका ऑनलाइन प्रसारण होगा जिसे चोपन व अन्य जनपदों में आयोजित कार्यक्रम में प्रसारित किया जेगा। साथ ही, कई छोटे कार्यक्रमों की शृंखला का आयोजन किया जाएगा जिसमें उत्तर प्रदेश के जनजाति बाहुल्य क्षेत्रों में विशिष्ट कार्यक्रमों का आयोजन किया जाएगा। जिन जनपदों में जनजातीय उपस्थिति नहीं भी है वहां मंडल व कमिश्नरी के स्तर पर कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे।

उत्तर प्रदेश की जनजातीय उपस्थिति का है नीतिगत महत्व

असीम अरुण के अनुसार, अक्सर सोचा जाता है कि उत्तर प्रदेश में तो कम जनजातीय उपस्थिति है। यह प्रतिशत के रूप में तो कम है मगर जनसंख्या के लिहाज से अहम है। यह न केवल गौरव का बात है बल्कि नीतिगत विषय के तौर पर महत्व देने की बात है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री ने स्वयं इसे महत्व दिया है। उन्होंने योजनाओं को मजबूत किया है और सांस्कृतिक धरोहरों को आगे बढ़ाने का काम किया है। उन्होंने कहा कि इस कार्यक्रम का आयोजन एक भारत-श्रेष्ठ भारत की भावना से जोड़कर आयोजित किया जा रहा है। अरुणाचल के मुख्यमंत्री पेमा खाण्डू जी से अनुरोध किया गया, फलस्वरूप 33 लोगों की टीम इस कार्यक्रम में सम्मिलित होगी। इसी प्रकार, उ.प्र की टीम भी अरुणाचल में आयोजित होने वाले कार्यक्रमों में शिरकत करेगी।

मीडिया बंधुओं से की फुटफॉल बढ़ाने की अपील

मीडिया बंधुओं से अपील करते हुए असीम अरुण ने कहा कि जब आप अच्छी कवरेज देते हैं तो यह फुटफॉल बढ़ाने में सहायक होता है। उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी को धन्यवाद देते हुए कहा कि देश के महापुरुषों के बारे में लोगों का जागरूक बनाने के उनके प्रयास सराहनीय व अनुकरणीय है और युवाओं को इससे लाभ हो रहा है। इसके साथ ही, स्थानीय निकायों में भगवान बिरसा मुंडा की मूर्ति स्थापना, पार्क-सड़क के नामकरण इत्यादि के लिए होने वाली कार्रवाई को पूर्ण करने का अनुरोध किया। उन्होंने कहा कि जिलों में वाद-विवाद, चित्रकला समेत विभिन्न प्रकार के कार्यक्रमों का आयोजन हो रहा है। वहीं, उत्तर प्रदेश के लोक एवं जनजाति कला एवं संस्कृति संस्थान के निदेशक अतुल द्विवेदी ने जानकारी देते हुए बताया कि उत्तर प्रदेश की जितनी भी जनजातियां हैं इसमें बुक्सा, सहरिया, खरवार, गोंड इत्यादि की प्रस्तुतियां मुख्य कार्यक्रम की शोभा बढ़ाएगी। लगभग 200 कलाकार यूपी के होंगे जो कि विभिन्न जनजातियों से जुड़े हुए होंगे

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