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डिजिटल बर्थ सर्टिफिकेट की होगी शुरुआत, अब इन कामों में होगी आसानी

Digital Birth Certificate

Digital Birth Certificate

नई दिल्ली। जन्म एवं मृत्यु पंजीकरण (संशोधन) विधेयक, 2023 लोकसभा से पास हो गया है। राज्यसभा से मंजूर होते ही यह कानून की शक्ल ले लेगा। इसी के साथ डिजिटल बर्थ सर्टिफिकेट (Digital Birth Certificate ) की शुरुआत हो सकेगी। यह आसानी से मिल सकेगा, जो स्कूल में प्रवेश से लेकर सरकारी आवेदनों तक में काम आएगा। इस बिल के मंजूर होने के साथ बच्चों की उम्र कम दर्ज कराने की परंपरा भी खत्म हो जाएगी।

जन्म एवं मृत्यु पंजीकरण (संशोधन) (Digital Birth Certificate ) विधेयक 2023, 1969 में बने बिल में संशोधन करने की मंशा से पेश किया गया है। जन्म एवं मृत्यु का पंजीकरण समवर्ती सूची के तहत आता है। यह संसद और राज्य विधान सभाओं को इस विषय पर कानून बनाने का अधिकार देता है।

कितना कुछ बदलेगा?

यह डिजिटल प्रमाणपत्र भविष्य में बहुत उपयोगी होने वाला है। यह कई दस्तावेजों की जरूरत को कम कर देगा। प्रस्ताव में कहा गया है कि बच्चे के जन्म प्रमाणपत्र को पैरेंट्स के आधार कार्ड विवरण से जोड़ दिया जाएगा। यह डेटा अस्पतालों समेत लगभग सभी सरकारी महकमों के पास मौजूद होगा, जिसका वे जरूरत पड़ने पर इस्तेमाल कर सकेंगे।

सरकार जन्म-मृत्यु के रिकार्ड को मैनेज करने को एक केंद्रीयकृत डेटा बेस तैयार करेगी। इसके लिए अलग से टीम बनेगी, जो इसका प्रबंधन देखेगी। यही केन्द्रीय टीम राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर, राशन कार्ड और संपत्ति पंजीकरण का डेटा भी अपडेट करेगा। बिल में यह भी प्रस्ताव है कि राज्य केंद्र क नागरिक पंजीकरण प्रणाली पोर्टल पर जन्म-मृत्यु को पंजीकृत करेंगे तथा डेटा भारत के महापंजीयक के साथ साझा करेंगे। इसे अनिवार्य बनाने का प्रस्ताव भी बिल में किया गया है।

कितना फायदेमंद होगा डेटाबेस?

केंद्र सरकार का मानना है कि केन्द्रीय डेटाबेस से सूचना का एक भरोसेमंद केंद्र होगा, जो कामकाज को आसान भी बनाएगा। प्रशासनिक दक्षता भी बढ़ने की उम्मीद है। एकल डिजिटल जन्म प्रमाण पत्र स्कूल में एडमिशन, पासपोर्ट, सरकारी नौकरी आदि में काम आने वाला महत्वपूर्ण दस्तावेज साबित होगा। इसका वेरीफिकेशन भी बहुत आसान हो जाएगा। दावा है कि यह प्रयास नागरिक सुविधाओं को और बेहतर बनाने में मददगार साबित होगा।

चिन्ताएं भी कम नहीं

विधेयक को लेकर कुछ चिंताएं भी उभरी हैं। मसलन भारत अभी भी गांव में बसता है। वहां बच्चे भी पैदा होते हैं। जागरूकता की कमी की वजह से संभव है कि नवजात का प्रमाण पत्र न बन पाए तो उसे स्कूल जाने में दिक्कत पेश आ सकती है। यह शिक्षा के मौलिक अधिकारों उल्लंघन होगा। यहां निजता के अधिकार की सुरक्षा पर भी कुछ खतरे सामने होंगे।

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विधेयक निजता के अधिकार और शिक्षा के अधिकार जैसे संवैधानिक अधिकारों को लेकर टकराव की स्थिति भी बनाता हुआ दिखाई दे रहा है। आलोचक यह भी दावा कर रहे हैं कि डिजिटल जन्म प्रमाण पत्र (Digital Birth Certificate ) उन व्यक्तियों को अनेक सुविधाओं से वंचित कर देगा,जिनकी पहुंच से डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म आज भी बहुत दूर हैं।

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