• About us
  • Privacy Policy
  • Disclaimer
  • Terms & Conditions
  • Contact
24 Ghante Latest Hindi News
  • होम
  • राष्ट्रीय
    • उत्तराखंड
    • उत्तर प्रदेश
    • छत्तीसगढ़
    • हरियाणा
    • राजस्थान
  • राजनीति
  • अंतर्राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • मनोरंजन
  • शिक्षा
  • स्वास्थ्य
  • धर्म
  • होम
  • राष्ट्रीय
    • उत्तराखंड
    • उत्तर प्रदेश
    • छत्तीसगढ़
    • हरियाणा
    • राजस्थान
  • राजनीति
  • अंतर्राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • मनोरंजन
  • शिक्षा
  • स्वास्थ्य
  • धर्म
No Result
View All Result

गणतंत्र दिवस पर हिंसा शर्मनाक, तिरंगे का अपमान देश का अपमान

Desk by Desk
27/01/2021
in Main Slider, क्राइम, ख़ास खबर, नई दिल्ली, राजनीति, राष्ट्रीय
0
गणतंत्र दिवस पर हिंसा शर्मनाक Shameful violence on republic day

गणतंत्र दिवस पर हिंसा शर्मनाक

14
SHARES
176
VIEWS
Share on FacebookShare on TwitterShare on Whatsapp

सियाराम पांडेय ‘शांत’
तिरंगा इस देश की आन-बान और शान का प्रतीक है। तिरंगे का अपमान देश का अपमान है। इसे हल्के में नहीं लिया जा सकता। तिरंगे का अपमान यह देश बर्दाश्त नहीं कर सकता। देश है तो राजनीति है, किसानी है, व्यापार है, संगठन है। देश नहीं तो कुछ भी नहीं। देश के धैर्य को चुनौती देने वालों पर परम सख्त होने का समय आ गया है। चीन और पाकिस्तान से इस देश को उतना खतरा नहीं है जितना अपनी ही आस्तीन में पल रहे सांपों से हैं।

 

देश का किसान भोला है, इससे इनकार नहीं किया जा सकता लेकिन इतना भी भोला नहीं कि वह अपना अच्छा और बुरा न समझे। आंदोलनकारी भी जानते हैं कि देश का 95 प्रतिशत किसान अपने खेतों और घरों में हैं। कुछ मुट्ठी भर बड़े किसान, आढ़तिए और उन्हें समर्थन दे रहे राजनीतिक दल इस आंदोलन को खाद-पानी दे रहे थे। जिनने किसानों का कभी लाभ नहीं किया, वे भी उनकी रहनुमाई में पीछे नहीं रहे।

 

किसी भी संप्रदाय का ध्वज तिरंगे की जगह नहीं ले सकता। देश बड़ा है, न कि संप्रदाय। लाल किले पर जिस तरह तिरंगे को जमीन पर फेंककर खालसा पंथ का झंडा फहराया गया, गणतंत्र दिवस के अवसर पर किसानों की ट्रैक्टर परेड में शामिल उन्मादियों ने जिस तरह की उपद्रवी हरकत की, उसकी जितनी भी निंदा की जाए, कम है। इस बार के खुफिया इनपुट पहले से ही मिल रहे थे कि किसानों के आंदोलन में खालिस्तानी आतंकी भी घुस आए हैं। इसके बाद भी उपद्रव को लेकर सजग न रहना दिल्ली पुलिस की सबसे बड़ी विफलता है।

 

पहली बात तो किसानों को गणतंत्र दिवस पर रैली निकालने की इजाजत ही नहीं देनी चाहिए थी और अगर उन्हें इजाजत दी गई तो फिर सुरक्षा प्रबंधों के व्यापक बंदोबस्त भी किए जाने चाहिए थे। दिल्ली में जो कुछ भी हुआ, उसकी जिम्मेदारी से पुलिस भी बच नहीं सकती। किसान आंदोलन के बहाने राजनीतिक दल जिस तरह देश को कमजोर करने की कोशिश कर रही है, मोदी सरकार को अस्थिर करने की कोशिश कर रहे हैं, वह भी किसी से छिपा नहीं है।

 

लाल किले में किसानों के वेश में उपद्रवियों ने जिस तरह लाठी-डंडों, फरसों, भालों और तलवारों का प्रयोग कर दिल्ली पुलिस के 300 से अधिक जवानों और अधिकारियों को घायल किया,उससे किसान आंदोलन तो कमजोर हुआ ही, देश भी शर्मसार हुआ है। पाकिस्तानी मीडिया में भारतीय लोकतंत्र की जिस तरह आलोचना हुई, उसके लिए इस देश की राजनीति ही बहुत हद तक जिम्मेदार है।

 

उन्मादी ताकते लाल किला तक कैसे पहुंची, लाल किला के अंदर तक कैसे पहुंची और उन्होंने राष्ट्रीय गरिमा को किस-तरह तार-तार किया, वहां तैनात सुरक्षा बल क्या कर रहा था, इन सारे संदर्भों की जांच की जानी चाहिए। जब सरकार ने केवल 25 हजार किसानों और पांच हजार ट्रैक्टरों को ही परेड में शामिल होने की अनुमति दी थी तो ट्रैक्टर ट्रालियां लेकर लाखों लोग दिल्ली में कैसे पहुंच गए? बड़ी बात यह कि उनके पास असलहे कहां से आए?

दिल्ली में हुई इस शर्मनाक घटना ने किसान आंदोलन के नेताओं की मंशा पर ही सवाल खड़े कर दिए गए हैं। वे तो अपनी राष्ट्रभक्ति का बखान कर रहे थे। पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री के नारे जय जवान-जय किसान का हवाला निकाल रहे थे तो इसके पीछे उनका षड़यंत्र यह था। क्या देश के जवान भी ऐसी ही परेड करते हैं? किसानों के बीच 26 जनवरी पर देश को नीचा दिखाने की क्या योजना बन रही है, ऐसा नहीं कि उन्हें पता नहीं था।

उन नेताओं को तो इस उन्मादी हरकत के लिए जवाबदेह होना ही पड़ेगा जिन्होंने कहा था कि डंडा लेकर ट्रैक्टर परेड में जाओ और अब वे दिल्ली पुलिस से  किसानों के ट्रैक्टरों को हुए नुकसान की भरपाई  की मांग कर रहे हैं। किसानों को भोला बता रहे हैं। दिल्ली पुलिस पर उन्हें गुमराह करने की बात कर रहे हैं। ऐसे किसान नेताओं पर राष्ट्रद्रोह का मुकदमा चलाया जाना चाहिए। उन्हें बताया जाना चाहिए कि देश का किसान वाकई भोला है, वर्ना उसका नेतृत्व करने वाले लोग चंद सालों में ही अरबपति कैसे हो जाते और किसान की आय दोगुनी करने की सरकार को मशक्कत क्यों करनी पड़ती?

जिन नेताओं ने दिल्ली पुलिस को आश्वस्त किया था कि वे किसानों का शांतिपूर्वक मार्च निकालेंगे। कायदतन तो उनके खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया जाना चाहिए। दिल्ली पुलिस ने वहां हुई हिंसक घटना के लिए 22 प्राथमिकियां दर्ज की हैं। इनमें कुछ किसान नेता भी शामिल हैं। सरकार को इस बात का पता लगाना चाहिए कि किसानों को आंदोलन और हिंसक वारदात के लिए उकसाने वाले कौन हैं?

 

उन सूत्रधारों के खिलाफ भी सख्त कार्रवाई होनी चाहिए। वैसे कांग्रेस इस घटना के बाद भी अपनी शातिराना हरकतों से बाज नहीं आ रही है। राहुल गांधी प्रधानमंत्री को विनम्र बने रहने की नसीहत दे रहे हैं। साथ ही यह भी कह रहे हैं कि उन्हें तीनों कृषि कानून वापस ले ले लेने चाहिए। कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह को दिल्ली में हुई हिंसा में सरकारी कर्मचारियों और आरएसएस का हाथ नजर आ रहा है। एक खबर यह भी आ रही है कि खालिस्तानी नेता ने लालकिला पर खालसा ध्वज फहराने वाले को सवा दो लाख यूएस डालर और उसके मामले को विदेशी अदालतों ट्रांसफर कराने तथा उन्हें विदेशी नागरिकता देने की घोषणा कर रखी थी।

 

किसान संगठनों ने एक-एक कर जिस तरह आंदोलन खत्म करना शुरू किया है, उसका मतलब साफ है कि इस घटना के बाद सरकार अब चुप रहने वाली नहीं है। दिल्ली हिंसा के दोषी बख्शे नहीं जाएंगे, इसके संकेत मिलने लगे हैं।  जिस तरह केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के साथ पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों की मैराथन बैठक हुई, उससे भी इस बात के संदेश तो जनता के बीच गए ही हैं। विपक्ष से आवाज आ रही है कि तिरंगा उतारते और खालसा पंथ का झंडा उतारते वक्त पुलिस ने अराजक तत्वों को गोली क्यों नहीं मारी?

विपक्ष तो यही चाह रहा था कि सरकार उत्तेजित हो। दिल्ली में गोलियां चले और वे अपनी रोटियां सेकें। मोदी सरकार ने परम धैर्य के साथ काम लिया। पुलिस ने किसानों पर जवाबी कार्रवाई नहीं की। जो लोग किसानों के आंदोलन को बदनाम करने का आरोप लगा रहे हैं, वे तो तब भी यही आरोप लगा रहे थे कि किसानों को खालिस्तानी बताया जा रहा है। किसानों का आंदोलन अगर वाकई अहिंसक था तो उसमें हिंसक तत्व कैसे घुस आए, इसका जवाब न तो किसान नेताओं के पास है और न ही उनकी तरफदारी कर रहे राजनीतिक दलों के पास?

कुछ राजनीतिक दलों ने किसानों की ट्रैटर परेड में भाग भी लिया था। इस देश के तथाकथित बुद्धिजीवियों को तिरंगे के अपमान और  पुलिस वालों पर हमले की भी आलोचना की जानी चाहिए। इस मुद्दे पर सरकार को आर-पार का निर्णय तो करना ही होगा वर्ना जब भी कोई संगठन नाराज होगा, वह लाल किले पर, प्रधानमंत्री आवास और राष्ट्रपति भवन पर कब्जे कर लेगा। यह स्थिति बहुत मुफीद नहीं है। जो कुछ हुआ, उसकी पुनरावृत्ति न हो, इसका मुकम्मल बंदोबस्त किया जाना ही युगधर्म है।

 

एक बार फिर कोई भी धर्म देश से बड़ा नहीं हो सकता। अपने-अपने धर्म की रक्षा की जानी चाहिए लेकिन राष्ट्रधर्म और संविधान की अवहेलना करके नहीं, उसका समुचित सम्मान करते हुए। राजनीतिक दलों को गुमराह करने की मनोवृत्ति छोड़कर सच को सच कहने की आदत डालनी चाहिए वर्ना देश कमजोर होता चला जाएगा और एक दिन गुलाम भी हो जाए तो कोई बात नहीं। सरकार को, इस देश की अदालतों को और संवैधानिक संस्थाओं में बैठे लोगों को ऐसे राजनीतिक दलों पर भी अंकुश लगाना होगा जो वैयक्तिक स्वार्थ के लिए राष्ट्रीय अस्मिता को खतरे में डालने का काम कर रहे हैं।

Tags: republic dayShameful violence on republic dayगणतंत्र दिवसगणतंत्र दिवस पर तिरंगागणतंत्र दिवस पर शर्मनाक हिंसागणतंत्र दिवस पर हिंसा शर्मनाकतिरंगा
Previous Post

पूरे 20 प्रतिशत तक बढ़ा सकते हैं मोटरसाईकल का माईलेज, फॉलो करें ये टिप्स

Next Post

अब तक 23 लाख से अधिक लोगों को लगा कोरोना का टीका

Desk

Desk

Related Posts

AK Sharma
उत्तर प्रदेश

नगरीय विकास विकास के चुंबक हैं प्रदेश को विकसित बनाने में उनकी अहम भूमिका: एके शर्मा

11/10/2025
CM Yogi
उत्तर प्रदेश

अध्यात्म, आस्था और राष्ट्रीयता ही भारत की असली पहचान : मुख्यमंत्री

11/10/2025
Suicide
Main Slider

सीकर में मातृत्व की मर्मांतक त्रासदी, चार मासूमों संग मां ने किया सामूहिक सुसाइड!

11/10/2025
Kerala High Court reprimanded the Waqf Board
Main Slider

कल को ताजमहल, लाल किला पर भी दावा घोषित कर दोगे… हाईकोर्ट ने वक्फ बोर्ड को लगाई फटकार

11/10/2025
PM Modi
Main Slider

दिवाली से पहले देश के किसानों को करोड़ों का गिफ्ट, PM मोदी ऐसे बदलेंगे किस्मत

11/10/2025
Next Post
corona vaccine

अब तक 23 लाख से अधिक लोगों को लगा कोरोना का टीका

यह भी पढ़ें

accused arrested

विश्व सनातन धर्म संस्कृति समिति के पदाधिकारियों ने की सिपाही से अभद्रता, FIR दर्ज

17/02/2021
Keshav Maurya

पूर्व की बसपा और सपा सरकारों में चलने के लिए रोड तक नहीं थी : केशव मौर्य

18/01/2022

विधायक जी ने ऐसा क्या कह दिया या कर दिया कि मर्यादा की सारी सीमायें टूट गयीं ?

13/08/2020
Facebook Twitter Youtube

© 2022 24घंटेऑनलाइन

  • होम
  • राष्ट्रीय
    • उत्तराखंड
    • उत्तर प्रदेश
    • छत्तीसगढ़
    • हरियाणा
    • राजस्थान
  • राजनीति
  • अंतर्राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • मनोरंजन
  • शिक्षा
  • स्वास्थ्य
  • धर्म

© 2022 24घंटेऑनलाइन

Go to mobile version