सिद्धार्थनगर। जिला विधिक सेवा प्राधिकरण सिद्धार्थनगर के तत्वावधान में जनपद एवं सत्र न्यायालय सिद्धार्थनगर में राष्ट्रीय हिंदी दिवस के अवसर पर जिला जज प्रमोद कुमार शर्मा की अध्यक्षता में कार्यक्रम आयोजित हुआ। कार्यक्रम का संचालन जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के पूर्णकालिक सचिव चंद्रमणि द्वारा किया गया।
हिंदी दिवस के अवसर पर प्रकाश डालते हुये भारतीय सिविल सिद्धार्थ बार के महामंत्री कृपाशंकर त्रिपाठी ने भारतीय संस्कृति में हिंदी भाषा के महत्व को बताते हुए कहा कि यह हमारी संस्कृति की आधारभूत संरचना है, हमारे देश पर तमाम विदेशी आक्रांताओं ने आक्रमण किया और सदियों तक गुलामी की जंजीरों में जकड़े रखकर अपनी भाषा को जबरिया थोपने का कार्य करते रहे किन्तु सफल नहीं हो सके और कोई भी भाषा हमारी मातृभाषा हिंदी का स्थानापन्न नहीं हो सकी और देश की आज़ादी के बाद हिंदी हमारे संविधान के अनु०२४३ द्वारा हिंदी को राजभाषा का दर्जा मिला हुआ है। हम आभारी हैं अपने देश के कवियों, साहित्यकारों, क्रांतिकारियों एवं देश को आज़ादी दिलाने वाले समस्त लोगों के जिन्होंने हिंदी भाषा को जीवंत रखा। हिंदी भाषा ही एक मात्र भाषा के जिसके शब्दालंकारों से शरीर का रोम-रोम पुलकित एवं रोमांचित हो उठता है। जिला बार अध्यक्ष सत्यदेव सिंह ने भी आयोजन को संबोधित करते हुए हिंदी भाषा की उपयोगिता व महत्व पर प्रकाश डाला। प्रधान न्यायाधीश परिवार न्यायालय सुनील बंसल द्वारा हिंदी भाषा के उत्थान पर प्रकाश डालते हुए कहा गया कि हिंदी भाषा को तमाम कालखण्डों में विभाजित कर इसका अध्ययन किया जाता है और हमारी हिंदी भाषा तमाम कालखण्डों से होकर गुजरती हुई एक अविरल सरिता के रूप में अनवरत प्रवाहित होती रही है, इसके साथ ही उन्होंने कहा कि हमारी हिंदी भाषा को वर्तमान में जो स्थान मिलना चाहिए वह दक्षिण भारतीयों की वजह से नहीं मिल सका है हमें इस दिशा में अनवरत प्रयत्नशील रहना होगा।
कार्यक्रम में अपने अध्यक्षीय भाषण के दौरान जिला जज प्रमोद कुमार शर्मा कार्यक्रम में उपस्थित सभी लोगों का आभार व्यक्त करते हुए सहित्यकार भारतेंदु हरिश्चंद्र की उक्ति ‘निज भाषा उन्नति अहै, सब उन्नति को मूल, बिन निज भाषा ज्ञान के, मिटै न हिय को शूल’.. से प्रारंभ करते हुए कहा कि जिस तरह से हमारे जीवन में माता का स्थान है वही स्थान हमारी हिन्दी भाषा का है इसीलिए यह हमारी मातृभाषा कहलाती है, कोई भी भाषा इसका स्थान नहीं ले सकती। विश्व की हिंदी भाषा ही एकमात्र भाषा है कि इसमें जो शब्द लिखे होते हैं वही पढ़े, बोले और वास्तविक रूप में समझे जाते हैं जबकि बिश्व में सर्वाधिक प्रचलित अंग्रेजी भाषा में शब्द और वाक्य लिखा कुछ और जाता है उच्चारित कुछ होता है तथा समझा कुछ और जाता है। एक मात्र हिन्दी भाषा ही हमारी उन्नति का मूल है इसके बिना हम जल बिन मछली की तरह हैं। यह हमारी मातृभाषा, राजभाषा और देवभाषा भी है।
हिंदी दिवस कार्यक्रम के दौरान राज कुमार बंसल प्रधान न्यायाधीश परिवार न्यायालय शकील उर रहमान अपर जनपद एवं सत्र न्यायाधीश न्यायालय कक्ष संख्या ०१. डा० राकेश कुमार नैन अपर जिला एवं सत्र / विशेष न्यायाधीश, एस०सी० / एस०टी० एक्ट, प्रमोद कुमार सिंह द्वितीय अपर जनपद न्यायाधीश कक्ष सं०-०३ हिमांशु दयाल श्रीवास्तव अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश (एफ०टी०सी०) कोर्ट सं०-०१, श्री चन्द्रमणि पूर्णकालिक सचिव जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, शैलेश कुमार मौर्या मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट, संदीप पारचा सिविल जज (सी०डि०),सौरभ ओझा सिविल जज (जू०डि०), सुश्री मनीषा गुप्ता न्यायिक मजिस्ट्रेट, नवनीत कुमार सिंह अपर सिविल जज (जू०डि०) कक्ष सं०-०२,आशुनैना मौर्या सिविल जज (जू०डि०) / एफ०टी०सी० संख्या-०१, श्वेता विश्वकर्मा सिविल जज (जू०डि०) / एफ०टी०सी० संख्या ०२, कविन्द्र पाण्डेय वरिष्ठ अधिवक्ता, देवेश श्रीवास्तव पी०आर०ओ० अध्यक्ष सिविल सिद्धार्थ बार, पंकज कुमार सिंह कोषाध्यक्ष सिविल बार, सत्यनारायण व न्यायालय के कर्मचारीगण व अधिकारीगण उपस्थित रहे। उक्त कार्यक्रम का संचालन श्री चन्द्रमणि पूर्णकालिक सचिव जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, सिद्धार्थनगर द्वारा किया गया।