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दिवाली पर रही गाय के गोबर से बने दीपकों और मूर्तियों की धूम

Desk by Desk
14/11/2020
in Main Slider, उत्तर प्रदेश, धर्म, राष्ट्रीय, लखनऊ
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गाय के गोबर से बने दीपक
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रोशनी के त्योहार दीपावली पर इस बार उत्तर प्रदेश के झांसी में लोगों के बीच स्वदेशी की ओर बढ़ते रूझान के चलते गाय के गोबर से बने दीपक और मूर्तियां खरीदारी का मुख्य आकर्षण बना और इसके कारण कभी बाजारों और लोगों के बीच बेहद लोकप्रिय रहा सस्ता चीन निर्मित सामान अपना आधार खोता नजर आ रहा है।

कभी चीन के बने उत्पादों पर दिल खोलकर खर्च करने वाले लोगों को आज गाय के गोबर से बने दीपक और मूर्तियॉं काफी लुभा रहे हैं। लोग गौ गोबर के इन उत्पादों को ज्यादा शुभकारी और लाभदायक बताते नजर आ रहे हैं। कुल मिलाकर सरकार के स्वदेशी अपनाने को लेकर चलाये जा रहे अभियान और सीमा पर चीन की नापाक हरकतों का मुंहतोड़ जबाब आज एक आम भारतीय अपने तरीके से और बेहद प्रभावी ढंग से दे रहा है। चीन के उत्पादों को नापंसद करते हुए आम नागरिक भी चीन को सबक सिखाने से पीछे नहीं हट रहे हैं, साथ ही गाय के गोबर के उत्पादों को पसंद करते हुए गाय के महत्व को समझने में भी लोगों को सहयोग मिल रहा है।

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हाल ही में गौशालाओं की ओर से गौ गोबर से निर्मित दीपक व धन की देवी महालक्ष्मी जी की मूर्तियों के बाजार में आने के बाद चीनी सामान की चमक फीकी पड़ रही है। लोग स्वदेशी उत्पाद खरीदने के लिए बेहद उत्सुक दिखाई दे रहे हैं। गौ गोबर से निर्मित सामान को बेचने वाले हालांकि बहुतायत मात्रा में नहीं हैं,लेकिन जितने भी हैं उनमें से किसी को भी आप पूरे दिन खाली नहीं देख सकते हैं। गौ गोबर से निर्मित मूर्तियां व दीपक लोगों के लिए आकर्षण का केन्द्र भी बने हुए हैं। उससे भी अधिक है उनकी बिक्री करने वाले लोगों का सामान के महत्व के बारे में बताने का तरीका ऐसा है जो किसी को भी अपनी ओर आकर्षित कर लेता है।

शुभकारी और विभिन्न फलदायक हैं दीपक और मूर्तियों इस संबंध में गौ सेवक के के तिवारी बताते हैं कि गौशाला की देसी गाय के शुद्ध गोबर से निर्मित दीपक, मूर्तियां, उपले, ओम व स्वास्तिक सर्व रोग नाशक, ग्रह दोष नाशक,वास्तुदोष नाशक, धन धान्य कारक, सर्व सिद्धि कारक व लक्ष्मी प्राप्ति के द्योतक हैं। इस कार्य का आयोजन अपर निदेशक पशुपालन विभाग डा. योगेन्द्र सिंह तोमर द्वारा किया जा रहा है।

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कोरोना काल में गौ गोबर से बने उत्पादों के पूरी तरह से पर्यावरणमित्र होने के कारण भी यह लोगों की पहली पसंद बन रहे हैं। सनातन धर्म में गौमाता का विशेष महत्व है। गोस्वामी तुलसीदास ने श्रीरामचरित मानस में यहां तक कह दिया है- विप्र धेनु सुर संत हित,लीन्ह मनुज अवतार अर्थात भगवान इन चारों की रक्षा के लिए ही मनुष्य का रुप धारण करते हैं। गाय के गोबर और मूत्र को भी विशेष महत्व दिया गया है। ऐसी मान्यता है कि गाय के गोबर में मां लक्ष्मी जी का वास होता है और गौमूत्र में मां गंगा का। किसी भी शुभ कार्य करने से पहले गाय के गोबर से निर्मित संकटहर्ता प्रथमपूज्य श्री गणेश की मूर्ति को स्थापित किया जाता है।

विक्रेता जय तिवारी ने बताया कि ये दीपक न तो तेल सोखते हैं,न ही पानी में गलते हैं। वजन में अत्यंत ही हल्के हैं। इनको सुखाकर जिस तरह से दबाव के माध्यम से आकार दिया गया है, वह अपने आप में विशेष हैं। इनके ऊपर लगाया गए कलर के कारण तेल नहीं सोखते हैं साथ ही इनकी कीमत भी बहुत कम है। यही नहीं ये पर्यावरणमित्र होने के साथ ही इनके उपयोग के बाद इनका कम्पोस्ट खाद भी बन जाता है। इन्हीं सभी कारणों के चलते लोग इन्हें खरीदने के लिए आतुर हैं। उन्होंने यह भी बताया कि अभी दो दिन पूर्व तक करीब एक लाख दीपक निर्मित किए गए थे। यह प्रयोग सफल रहा है, अगली बार यह संख्या कई गुनी हो जाएगी।

Tags: "Diwali 2020DeepawalidiwaliDiwali 2020 CelebrationDiwali celebrationHappy DipawaliPrecaution in Diwaliगाय के गोबर से बने दीपकपरिवार संग मनाएं दीवाली
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