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पंच पर्वों का महापर्व है दीपावली, इस बार सालों बाद पड़ रहा शुभ योग

Diwali

Diwali

पंच पर्व यानि की दीपावली 02 नवंबर से आरम्भ हो जाएगी। दीपावली की श्रृखंला में पांच पर्व लगातार होने के कारण इसे पंच पर्व कहा जाता है। पंच पर्व की शुरूआत धनतेरस से होती है, जो इस बार 02 नवम्बर को है। धनतेरस के बाद नरक चतुर्दशी या छोटी दीपावली, दीपावली, गोवर्धन पूजा और भाई दूज पर समाप्त होते हैं।

पंच पर्व के संबंध में भारतीय प्राच्य विद्या सोसाइटी कनखल के संस्थापक ज्योतिषाचार्य पं. प्रतीक मिश्रपुरी के अनुसार धनतेरस या धन त्रयोदशी के दिन शाम को यम के लिए एक दीपक अपने दरवाजे के बाहर मिट्टी या आटे का बनाकर जलाना चाहिए। यह दीपक मृत्यु के देवता यम को अर्पण किया जाता है।

मिश्रपुरी के मुताबिक इस दीपक को जलाने के बाद जब घर में अंदर आएं तो पीछे मुड़कर नहीं देखें, तथा हाथ मुंह धोकर घर में प्रवेश करें। कहते हैं कि ये दीपक जलाने से वर्ष भर घर में अकाल मृत्यु नहीं होती है। बताया कि इस बार भौम प्रदोष के दिन सूर्य के नक्षत्र में धन तेरस होगी। इस दिन ही स्त्री संज्ञा से युक्त धातु खरीदने का शुभ मुहूर्त होता है। इस दिन चांदी, पीतल के बर्तन, मूर्ति इत्यादि खरीदने से घर में लक्ष्मी आती है। इसी दिन मोंसरी के पेड़ के नीचे दीपक जलाने से दरिद्रता दूर होती है। जीवन का अंधकार समाप्त हो जाता है।

3 नवंबर को रूप चौदस बुधवार और चंद्रमा के हस्त नक्षत्र में आ रही है। दोनों ही ग्रह रूप देने वाले ग्रह हैं। इस दिन शरीर पर तिल के तेल की मालिश, दही-बेसन का उपटन लगाने से मन और तन दोनों की सुंदरता बढ़ती है। इसको नरक चतुर्दशी भी कहा जाता है। इस दिन घर का समस्त कूड़ा उठाने से दरिद्रता दूर होती है। इसी दिन धनवंतरी जयंती है। इस दिन कोई भी दवाएं बनाने और उसका सेवन करने से रोग कैसा भी हो दूर हो जाता है।

इसी दिन हनुमान जयंती भी है। इस दिन हनुमान जी की उपासना अष्ट सिद्धि, नौ निधि देने वाली होती है। हनुमान जी का पूजन यदि मध्य रात्रि में किया जाये तो समस्त रोग शोक नष्ट हो जाते हैं। इस दिन हनुमान मंदिर में तेल का दीपक जलने से तेजस्वी पुत्र, पौत्र की प्राप्ति होती है।

मिश्रपुरी के मुताबिक इस बार पूर्ण दीपावली है, जो वर्षों बाद आई है। इसमें सभी राशि वालों को लाभ होगा। इस दिन व्यापार वृद्धि शाबर मंत्र का जाप शुभकारी होगा। इस दिन पुत्र प्राप्ति का मंत्र जाप भी बहुत प्रभावी होगा। गणेश यंत्र, महालक्ष्मी यंत्र, बगुलामुखी यंत्र, काली यंत्र, सिद्ध करने का विशेष दिन रात्रि होगी। उनके अनुसार लक्ष्मी का पूजन 5 दिनों तक होता है, जो धन त्रयोदशी से प्रारंभ होकर यम द्वितीया यानि भाई दूज तक होता है। इन पांच दिन तक घर में तेल का दीपक जलाने से लक्ष्मी की प्राप्ति होती है।

इन दिनों में बाल न बनाएं। हरे पेड़ न काटें, घर की सफाई रखे, दांतों को साफ रखें, पांच दिनों तक लक्ष्मी का मंत्र जाप करें, अनार, कनेर, खील, चावल, रोशनी लक्ष्मी को बहुत प्रिय हैं। इन्हें घर पर रखें, जुआ, शराब,से बहुत दूर रहें। दांत काले हों तो फिटकरी से साफ करें। चांदी घर में खरीद कर रखें, ये सभी लक्ष्मी प्रदाता हैं। ऐसा करने से घर में समृद्धि आती है।

पं. मिश्रपुरी के अनुसार दीपावली को मां लक्ष्मी सभी पर कृपा करती हैं। सभी के मन में भावना रहती है कि वो धनवान बने। दरिद्रता उससे दूर हो जाए। दिवाली का दिन दरिद्रता को दूर करने का सबसे अच्छा दिन कहा जाता है। दरिद्रता सिर्फ गरीबी नहीं है। संतान का न होना, रोगी होना, घर में अलगाव, पति पत्नी में तलाक, पैसा मुकदमों, दवाइयों में जाना, चोरी होना, परिवार की वृद्धि न होना ये सभी दरिद्रता के लक्षण हैं।

दीपावली के दिन यदि विशेष पूजा मुहूर्त में की जाए तो इन सभी दरिद्रता को दूर कर सकते हैं। इस वर्ष में दिवाली 4 नवंबर गुरुवार को अमावस्या के दिन प्रातः सूर्योदय से अर्धरात्रि ले बाद 2.45 तक व्याप्त रहेगी। वर्षाें बाद ऐसा योग है कि पूरे दिन अमावस्या है और यह मध्य रात्रि तक है। इस बार दीपावली स्वाति नक्षत्र, आयुष्यमान योग, तुला के चंद्र, तुला के सूर्य में होगी, जो बहुत ही शुभ कही जाती है। इन योग में दीपावली पड़ने के कारण देश की आर्थिक प्रगति को कोई नहीं रोक सकता है। यदि इस बार दिवाली पूजन सही मुहूर्त में किया जाये तो दरिद्रता दूर भाग जायेगी।

उनके मुताबिक इस दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठें। इस दिन दोपहर में पितरों के निमित्त तर्पण करें। यदि हो सके तो मां लक्ष्मी के निमित्त व्रत करें तथा सायंकाल अपने उत्तर पूर्व कोने में बैठकर पूरे परिवार के साथ महालक्ष्मी का पूजन करें। इस दिन अपनी पत्नी को लाल वस्त्र दें और उसका पूरा सम्मान करें। लक्ष्मी गणेश की मिट्टी की प्रतिमा की पूजा करें।

उन्होंने बताया कि पूजा के तीन मुहूर्त हैं। इस बार गृहस्थ के लिये प्रदोष काल, योगियों के लिए निशीथ काल, तंत्र साधकों के लिए महा निशीथ काल। प्रदोष काल सूर्यास्त से लेकर 2 घंटा 40 मिनट तक प्रत्येक शहर में होगा। ये प्रदोष काल रात्रि मान से सिद्ध होता है। लक्ष्मी पूजा वृष लग्न में शुभ होती है। ये लगन 18.11 से 20.05 तक रहेगा। इसमें भी अमृत की होरा 17.30 से 19.10 तक लगभग रहेगी। इसमें महालक्ष्मी पूजन दीप दान, कुबेर गणेश, बही खाता का पूजन बहुत श्रेष्ठ रहेगा। इसके बाद निशीथ काल में पूजन 20.10 से 22.50 तक रहेगा।

इसमें कनक धारा लक्ष्मी स्त्रोत का पाठ करना शुभकारी होगा। इसके बाद 22.50 से 25.30 तक महा निशीथ काल होगा। इसमें ऊलूक पूजन, तंत्र साधना, गुप्त मंत्र जाप, श्री पूजन, शव साधना, श्मशान साधना की जाति है। इस दिन बिल्ली का दिखना बहुत शुभ होता है। यह दिन कनक धारा यंत्र की साधन का विशेष दिन होता है। इस दिन घर में किसी भी स्त्री का अपमान न करें। कनेर का पुष्प, कमल का फूल महालक्ष्मी को अर्पित करने से दरिद्रता दूर होती है।

इसके बाद 5 नवम्बर को अन्नकूट यानि गोवर्धन पूजा को दिन है। इस दिन अन्नकूट का भोग भगवान श्रीकृष्ण को लगाने से ऐश्वर्य की वृद्धि होती है। 6 नवम्बर को यम द्वितीया यानि भाई दूज का त्योहार मनाया जाता है। इस दिन यमुना जी में भाई-बहन के एक साथ स्नान करने से दोनों की आयु में वृद्धि के साथ अटूट प्रेम बढ़ता है।

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