धनतेरस 29 अक्तूबर को, नरक चतुर्दशी (छोटी दीपावली) 30 अक्तूबर, दीपावली (Diwali) का महापर्व 31 अक्तूबर, 01 नवंबर को स्नान दान की अमावस्या, 02 नवंबर को गोवर्धन पूजा और 03 नवंबर को भाई दूज का पर्व मनाया जाएगा।
पंडित योगेश अवस्थी ने बताया कि 31 अक्तूबर को चित्रा नक्षत्र में दीपावली (Diwali) का शुभ मुहूर्त पड़ रहा है जिसमें गणेश और लक्ष्मी जी का पूजन बड़ा ही शुभ माना जा रहा है क्योंकि तुला राशि पर बुध और चंद्रमा की युति भी हो रही है। बुध भगवान श्री गणेश जी से संबंधित है तथा चंद्रमा माता लक्ष्मी से तो ऐसे में अबकी बार दीपावली का त्योहार बड़ा ही शुभ माना जा रहा है।
वहीं, ज्योतिषाचार्य पं.मनोज कुमार द्विवेदी ने बताया कि धर्मशास्त्रत्तनुसार दीपावली (Diwali) का पर्व प्रदोष काल एवं महानिशीथ काल व्यापिनी अमावस्या में मनाया जाता है, जिसमें प्रदोष काल का महत्व गृहस्थों और व्यापारियों के लिए तथा महानिशीथ काल का उपयोग आगम शास्त्रत्त् (तांत्रिक) विधि से पूजन के लिए उपयुक्त होता है।
उन्होंने बताया कि दीपावली (Diwali) कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की प्रदोष व्यापिनी अमावस्या को मनाया जाता है। इस वर्ष, संवत 2081 के अनुसार, अमावस्या 31 अक्तूबर 2024 को दिन में 03:53 बजे से प्रारंभ होकर 01 नवंबर 2024 को शाम 06:16 बजे समाप्त होगी। दीपावली के पूजन में धर्मशास्त्रत्तीय मान्यतानुसार प्रदोष काल एवं महानिशीथ काल मुख्य है।
31 अक्टूबर गुरुवार को प्रदोष काल शाम 05 बजकर 18 मिनट से लेकर शाम 07 बजकर 52 मिनट तक रहेगा। इसमें स्थिर लग्न वृष का समावेश शाम 06 बजकर 07 मिनट से 08 बजकर 03 मिनट तक रहेगा।
वृष लग्न और अमृत चौघड़िया का पूर्ण योग
ज्योतिषाचार्य के अनुसार इस समायावधि में 01 घंटा 45 मिनट का समय अमावस्या, प्रदोष काल, वृष लग्न और अमृत चौघड़िया का पूर्ण संयोग बनेगा। इसके बाद महानिशीथ काल रात्रि 11 बजकर 15 मिनट से रात्रि 12 बजकर 06 मिनट तक रहेगा। रात्रि 12 बजकर 35 से रात्रि 02 बजकर 49 मिनट तक स्थिर सिंह लग्न रहेगी। ज्योतिषाचार्य के अनुसार इस प्रकार 31 अक्टूबर को अमावस्या रात्रि पर्यन्त रहेगी।
01 नवंबर शुक्रवार के दिन सूर्योदय से शाम 06 बजकर 16 मिनट तक अमावस्या तिथि रहेगी। इसके बाद कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा प्रारंभ हो जाएगी। दीपावली रात्रि का त्योहार है और इसका मुख्य पूजन रात्रि में अमावस्या के समय किया जाता है। शास्त्रत्तें के अनुसार, जिस दिन अमावस्या प्रदोष काल और महानिशीथ काल में व्याप्त होती है, उसी दिन दीपावली का पर्व मनाना चाहिए।