उत्तर प्रदेश के कानपुर जनपद में रैपिड रिस्पांस टीम (आरआरटी) के निर्धारित लक्ष्य को पूरा न करने पर आरआरटी प्रभारी को जिलाधिकारी के स्कॉर्ट ने सोमवार की देर रात समीक्षा बैठक के बाद सिटी मजिस्ट्रेट की रिपोर्ट पर हिरासत में ले लिया।
स्कॉर्ट ने आरआरटी प्रभारी पर मुकदमा दर्ज कराए जाने के लिए उन्हें स्वरूप नगर थाना पुलिस के सुपुर्द कर दिया। इस मामले की जानकारी पर जिले भर के चिकित्सा अधिकारियों व कर्मियों में गहरा आक्रोश फैल गया और दर्जनों स्वास्थ्य कर्मी सीएमओ के साथ थाने का घेराव करने पहुच गए।
चिकित्सा अधिकारी व कर्मियों ने जिला प्रशासन पर अपनी नाकामी छुपाने के लिए दुर्व्यवहार पूर्ण कारवाई किए जाने का आरोप लगाया और चेतावनी दी की कारवाई अगर वापस न ली गई तो मंगलवार से स्वास्थ सेवा में लगे कर्मचारी काम ठप कर हड़ताल पर चले जाएंगे। जिला प्रशासन और स्वास्थ विभाग की इस अहम की तकरार में कोरोना महामारी के बीच मरीजों को मिलने वाला इलाज सहित चिकित्सा सेवाओं व कोविड सैम्पलिंग के साथ जांच किए जाने की व्यवस्था चरमराने की आशंका बढ़ गई है।
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दरअसल, 23 अप्रैल को पतारा सीएचसी अधीक्षक डॉ. नीरज सचान को जिले में रैपिड रिस्पांस टीम (आरआरटी) का अतिरिक्त प्रभार आईसीसीसी के अधिकारी डॉ. आर. एन. सिंह ने सौंपा था। इसके अंतर्गत जिले में 40 टीमें घर-घर जाकर कोविड जांच के लिए सैम्पलिंग करते हैं। सोमवार की रात जिला प्रशासन द्वारा जनपद में कोविड महामारी को लेकर समीक्षा बैठक की गई। बैठक में सिटी मजिस्ट्रेट हिमांशु गुप्ता द्वारा आरआरटी की जांच में लापरवाही बरतने व लक्ष्य से कम सैम्पल लिए जाने पर कार्यवाही की संस्तुति करने की रिपोर्ट जिलाधिकारी आलोक तिवारी को सौंप दी। इस रिपोर्ट पर जिलाधिकारी ने बैठक के बाद डॉ. नीरज सचान को अपने स्कॉर्ट से हिरासत में लेकर स्वरूप नगर थाने भेजते हुए मुकदमा दर्ज किए जाने के आदेश दे दिए।
इस मामले की जानकारी मिलते ही मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) डॉ. अनिल मिश्रा के साथ दर्जनों चिकित्सा अधिकारी व कर्मी देर रात थाने पहुच गए। सभी ने जिला प्रशासन पर इस कार्यवाही को तानाशाही बताया और गहरा रोष व्यक्त किया।
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इस बीच डॉ. सचान की जिले में तैनात डॉक्टर पत्नी अनु सचान भी थाने में आ पहुची और पुलिस पर राजपत्रित अधिकारी को थाने में इस तरह से न बैठाए जाने की लिखित आपत्ति की। उन्होंने कहा कि तीन दिन पूर्व ही पति को आरआरटी का अतिरिक्त प्रभार सौंपा गया। जबकि जिले में वर्तमान में पिछली वर्ष की अपेक्षा पांच गुना केस सामने आ रहे हैं लेकिन सैम्पलिंग में वही 40 टीमें ही अभी भी काम कर रही हैं। उन्होंने कार्यवाही को अव्यवहारिक बताया।
इस दौरान थाने में एडीसीपी अभिषेक अग्रवाल व सीएमओ डॉ. अनिल मिश्रा के बीच बातचीत चली। वहीं इस सम्बंध में कानपुर के मंडलायुक्त डॉ राजशेखर व अपर स्वास्थ्य निदेशक डॉ. जीके मिश्रा की भी बातचीत हुई। सूत्रों की माने तो, वार्ता जिलाधिकारी द्वारा किसी भी हाल में पीछे न हटने पर बेनतीजा रही। वार्ता विफल होने से मंगलवार को जिले की स्वास्थ्य सेवाओं पर असर पड़ने का संकट गहरा गया। खबर लिखे जाने तक सीएमओ चिकित्सा अधिकारियों के साथ थाने में बैठे हुए हैं।