हिंदू धर्म में अमावस्या की तिथि बहुत ही पावन और विशेष मानी गई है । साल में 12 अमावस्या पड़ती है । अमावस्या की तिथि पितरों के लिए बहुत विषेश मानी जाती है । मान्यता है कि अमावस्या के दिन पितर धरती लोक पर आते हैं । अमावस्या के दिन पितरों का तर्पण और पिंडदान किया जाता है । अमावस्या के दिन तर्पण और पिंडदान करने से पितरों के मोक्ष की प्राप्ति होती है । अमावस्या के अगले दिन चंद्र दर्शन (Chandra Darshan) करना भी जरूरी माना जाता है । ये चैत्र का महिना चल रहा है । हिंदू धर्म में ये माह बहुत ही पावन माना गया है । ऐसे में आइए जानते हैं कि चैत्र महीने की अमावस्या के बाद अगले दिन चंद्र दर्शन कब किए जाएंगे और इसके पीछे की मान्यता क्या है।
पंचांग के अनुसार, चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि की शुरुआत 28 मार्च को शाम 7 बजकर 55 मिनट पर शुरू हो चुकी है । इस तिथि का समापन आज यानी 29 मार्च की शाम 4 बजकर 27 मिनट पर हो जाएगा । ऐसे में उदया तिथि के अनुसार आज अमावस्या मनाई जा रही है । आज शनिवार है । इस वजह से ये अमावस्या शनि अमावस्या कही जा रही है ।
चंद्र दर्शन (Chandra Darshan) का समय
अमावस्या के बाद शुक्ल पक्ष में चंद्र दर्शन किए जाते हैं । चैत्र माह में चंद्र दर्शन शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि यानी 30 मार्च को किए जाएंगे । इस दिन चंद्र दर्शन का शुभ समय शाम 6 बजकर 38 मिनट पर शुरू होगा । ये रात 7 बजकर 45 मिनट तक रहेगा ।
चंद्र दर्शन (Chandra Darshan) के पीछे क्या है मान्यता?
हिंदू धर्म में अमावस्या के बाद पहली बार जब चंद्रमा किए जाते हैं उसे ही चंद्र दर्शन कहा जाता है । अमावस्या के बाद शुक्ल पक्ष में चंद्र दर्शन का खास महत्व माना जाता है । दरअसल, ज्योतिष शास्त्र में चंद्रमा को मन, बुद्धि और ज्ञान का कारक कहा गया है ।
मान्यता है कि अमावस्या के बाद अगले दिन शुक्ल पक्ष में चंद्र दर्शन करने से व्यक्ति को आंतरिक शांति मिलती है । अमावस्या के बाद अगले दिन चंद्र दर्शन करने से व्यक्ति का मानसिक तनाव दूर हो जाता है । लोग इस दिन व्रत भी रखते हैं और शाम को चंद्रमा के दर्शन और पूजन के बाद ही व्रत का पारण करते हैं ।