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इस विधि से करें गणेश विसर्जन, जानें इस दिन का महत्व

भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि के दिन घरों में गणपति बप्पा को विराजित किया जाता है और उसके बाद चतुर्दशी तिथि के दिन गणेश उत्सव का समापन गणेश विसर्जन के साथ हो जाता है। बहुत सी जगहों पर इन 9 दिनों को गणेश नवरात्रि के नाम से भी जाना जाता है। कहते हैं इन नौ दिन बप्पा हमारे घर रहते हैं और उसके बाद जब हम इनका विसर्जन कर देते हैं तो बप्पा एक बार फिर अपने घर यानी कैलाश पर्वत लौट जाते हैं।

गणेश विसर्जन 2021 कब है?

वर्ष 2021 में 19 सितंबर रविवार के दिन गणेश विसर्जन किया जाएगा। इस अवसर पर लोग अपने घरों में स्थापित गणेश जी की प्रतिमा को जल में प्रवाहित कर देते हैं. कहा जाता है कि स्थापना से ज्यादा गणेश चतुर्थी में विसर्जन का महत्व होता है। इस दिन व्यक्ति को अनंत शुभ फल की प्राप्ति होती है और इसी वजह से इसका एक नाम अनंत चतुर्दशी भी है। साथ ही इस दिन कुछ विशेष उपाय करके आप अपने जीवन में गणपति बप्पा का आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं और अपने जीवन की समस्याओं से छुटकारा पा सकते है। तो जान लेते हैं इस दिन किए जाने वाले कुछ विशेष उपाय क्या हैं।

गणेश विसर्जन का महत्व

हिंदू धर्म में प्रथम पूजनीय गणपति बप्पा को बुद्धि, विवेक और समृद्धि का देवता भी माना गया है। इसके अलावा गणेश भगवान का संबंध बुध ग्रह से जोड़कर देखा जाता है. यही वजह है कि कहते हैं भगवान गणेश की प्रसन्नता हासिल करके कुंडली में मौजूद बुध ग्रह के दोष समाप्त होते हैं और जीवन में खुशहाली आती है। हिंदू पंचांग के अनुसार भाद्रपद शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को गणेश चतुर्थी मनाई जाती है. इस दौरान लोग अपने घरों में गणपति बप्पा की प्रतिमा स्थापित करते हैं और 9 दिनों तक पूरे विधि विधान के साथ इनकी पूजा-अर्चना की जाती है, इन्हें तरह तरह के भोग लगाए जाते हैं। यह उत्सव 10 दिनों तक चलता है और अंतिम दिन भगवान गणेश की प्रतिमा को सम्मान पूर्वक विसर्जित कर दिया जाता है।

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क्यों करते हैं गणपति विसर्जन?

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार कहा जाता है कि महर्षि वेदव्यास जी ने लगातार 10 दिनों तक भगवान गणेश को महाभारत की कथा सुनाई थी और गणेश जी ने इसे लिखा। दस दिनों बाद जब वेदव्यास जी ने गणेश जी के शरीर को छुआ तो उनका तापमान बढ़ा हुआ था जिसके चलते वेदव्यास जी ने उन्हें समीप के ही कुंड में ले जाकर उनके तापमान को शांत किया. कहा जाता है ठीक इसी प्रकार गणपति विसर्जन से गणपति महाराज को शीतल किया जाता है।

गणपति विसर्जन विधि

मुमकिन हो तो इस दिन उपवास रखें। इसके बाद घर में स्थापित गणपति प्रतिमा की पूजा करें. पूजा में नारियल, शमी के पत्ते, और दूर्वा जरूर शामिल करें। इसके बाद प्रतिमा को विसर्जन के लिए उचित स्थान पर ले जाएं। इस बात का विशेष ध्यान रखें कि विसर्जन के लिए जाते समय आप कोई भी चमड़े की वस्तु न पहनें. नंगे पैर मूर्ति को विसर्जन वाले जगह पर लेकर जाएं। आज के इस दौर में आपको इको फ्रेंडली गणपति मूर्ति भी मिल जाती है तो कोशिश करें कि आप उनका ही उपयोग करें और घर में ही गणपति बप्पा का विसर्जन कर लें। विसर्जन के बाद हाथ जोड़कर भगवान से अपने जीवन के कल्याण और मंगल की कामना करें और उन्हें अगले वर्ष बुलाने का अनुरोध करें।

गणेश विसर्जन उपाय

इस दिन एक पीले रंग का कागज लें। इसके बाद एक लाल स्याही से इस पत्र के सबसे ऊपर स्वास्तिक बना लें। स्वास्तिक के ठीक नीचे ॐ गं गणपतये नमः लिख दें। इसके बाद एक-एक करके नीचे अपने समस्याएं लिखना शुरू कर दें। कोशिश करें यह जितना साफ-सुथरे तरीके से लिख सकते हैं लिखें। समस्याओं के बाद अंत में अपना नाम लिखें और फिर गणेश मंत्र लिखें। कागज के सबसे आखिर में भी स्वास्तिक बनाएं।

इसके बाद कागज को मोड़ दें और उसमें रक्षा सूत्र बांधकर गणेश जी को समर्पित कर दें। ध्यान रहे जब गणेश भगवान की मूर्ति विसर्जित करें तो साथ ही इस कागज़ के टुकड़े को भी विसर्जित कर दें. इस उपाय को करने से आपके जीवन की समस्याएं जल्द ही दूर होने लगेंगी।

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