हिंदू धर्म में दशहरा (Dussehra) का बहुत अधिक महत्व होता है। असत्य पर सत्य की जीत के रूप में इस पर्व को मनाया जाता है। इसी दिन भगवान श्री राम ने रावण का वध किया था। दशहरा के दिन भगवान श्री राम की विधि- विधान से पूजा- अर्चना की जाती है। दशहरा (Dussehra) के दिन हवन करना भी शुभ माना जाता है। हवन करने से दुख- दर्द दूर होते हैं और सुख- समृद्धि में वृद्धि होती है। आइए जानते हैं हवन की विधि और सामग्री…
हवन विधि…
दशहरा (Dussehra) के दिन प्रात: जल्दी उठ जाना चाहिए।
स्नान आदि से निवृत्त होकर साफ- स्वच्छ वस्त्र पहन लें।
शास्त्रों के अनुसार हवन के समय पति- पत्नी को साथ में बैठना चाहिए।
किसी स्वच्छ स्थान पर हवन कुंड का निर्माण करें।
हवन कुंड में आम के पेड़ की लकड़ी और कपूर से अग्नि प्रज्जवलित करें।
हवन कुंड में सभी देवी- देवताओं के नाम की आहुति दें।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार कम से कम 108 बार आहुति देनी चाहिए। आप इससे अधिक आहुति भी दे सकते हैं।
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हवन के समाप्त होने के बाद आरती करें और भगवान को भोग लगाएं। इस दिन कन्या पूजन का भी विशेष महत्व होते हैं। आप हवन के बाद कन्या पूजन भी करवा सकते हैं।
हवन साम्रगी-
आम की लकड़ियां, बेल, नीम, पलाश का पौधा, कलीगंज, देवदार की जड़, गूलर की छाल और पत्ती, पापल की छाल और तना, बेर, आम की पत्ती और तना, चंदन का लकड़ी, तिल, कपूर, लौंग, चावल, ब्राह्मी, मुलैठी, अश्वगंधा की जड़, बहेड़ा का फल, हर्रे, घी, शक्कर, जौ, गुगल, लोभान, इलायची, गाय के गोबर से बने उपले, घी, नीरियल, लाल कपड़ा, कलावा, सुपारी, पान, बताशा, पूरी और खीर।