शारदीय नवरात्रि की शुरुआत 3 अक्टूबर से हो चुकी है. इस दौरान मां दुर्गा के नौ रूपों की आराधना करने के बाद अष्टमी और नवमी तिथि को कन्या पूजन (Kanya Pujan) करना बहुत ही शुभ होता है. नवरात्रि की आठवें दिन मां महागौरी और नवमी को मां सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है. यह दोनों तिथि में कन्या पूजन बहुत ही शुभ फलदायी होता है. आइए जानते हैं कि इस बार कन्या पूजन (Kanya Pujan) किस दिन किया जाएगा.
कब करें कन्या पूजन (Kanya Pujan)?
वैदिक पंचांग के अनुसार, शारदीय नवरात्रि की अष्टमी तिथि की शुरुआत 10 अक्टूबर 12 बजकर 31 मिनट से शुरू होकर 11 अक्टूबर 12 बजकर 6 मिनट तक रहेगी. अष्टमी तिथि का समापन होने के बाद नवमी तिथि की शुरुआत हो जाएगी. नवमी तिथि का समापन 12 अक्टूबर को सुबह 10 बजकर 58 मिनट पर हो जाएगा. उदय तिथि के अनुसार अष्टमी तिथि का कन्या पूजन 11 अक्टूबर और नवमी तिथि का कन्या पूजन 12 अक्टूबर को किया जाएगा.
कन्या पूजन (Kanya Pujan) की विधि
– महा अष्टमी या नवमी के दिन कन्या पूजन (Kanya Pujan) करने के लिए स्नान आदि करने के बाद भगवान गणेश और माता गौरी की पूजा करें.
– इसके बाद कन्या पूजन के लिए 9 कन्याओं और एक लड़के को भी आमंत्रित करें.
– पूजा की शुरुआत कन्याओं के स्वागत से करें.
– इसके बाद सभी कन्याओं के साफ पानी से पैर धोएं और साफ कपड़े से पोछकर आसन पर बिठाएं.
– फिर कन्याओं के माथे पर कुमकुम और अक्षत का टीका लगाएं.
– इसके बाद कन्याओं के हाथ में कलावा या मौली बांधें.
– एक थाली के में घी का दीपक जलाकर सभी कन्याओं की आरती उतारें.
– आरती उतारने के बाद कन्याओं को भोग में पूरी, चना, हलवा और नारियल खिलाएं.
-भोजन के बाद उन्हें अपने सामर्थ्य अनुसार भेंट दें.
– आखिर में कन्याओं के पैर छूकर उनसे आशीर्वाद जरूर लें.
– अंत में उन्हें अक्षत देकर उनसे थोड़ा अक्षत अपने घर में छिड़कने को कहें.
कन्या पूजन (Kanya Pujan) का महत्व
धार्मिक मान्यता के अनुसार कन्याओं को मां दुर्गा का स्वरूप माना जाता है. इसी कारण नवरात्रि के अंतिम दिन कन्या पूजन (Kanya Pujan) कर मां दुर्गा को प्रसन्न करने का प्रयास किया जाता है. इससे मां की विशेष कृपा प्राप्त होती है, जिससे घर-परिवार में सुख-शांति बनी रहती है.