रक्षाबंधन (Raksha Bandhan) का त्योहार भाई-बहन के अटूट प्रेम का प्रतीक है. राखी का यह त्योहार श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है. इस साल रक्षाबंधन का पर्व 19 अगस्त को मनाया जाएगा. इस दिन बहनें भाई की लंबी उम्र और सुख-संपन्नता के लिए उसकी कलाई पर राखी बांधती है और बदले में उनसे अपनी रक्षा का वचन लेती है. इसके चलते पिछले दो हफ्तों से बाजार में राखियों का कारोबार तेज हो गया है. बाजार में सोने-चांदी से लेकर फैंसी, आर्टिफिशियल राखियां देखी जा सकती हैं. अगर आप भाई के लिए राखी खरीदने जा रही हैं तो शास्त्रों में बताई कुछ खास बातों को ध्यान में रखकर ही राखी खरीदें
अशुभ चिह्न वाली राखी- बाजार में फैंसी राखियों का चलन जोर पकड़ रहा है. लेकिन इसकी खबूसरती में कुछ अशुभ चिह्न छिपे हो सकते हैं. राखी खरीदते समय ध्यान दें कि उस पर किसी प्रकार का अशुभ चिह्न ना हो.
देवी-देवताओं की तस्वीरों वाली राखी- अक्सर बाजार में देवी-देवताओं या भगवान की तस्वीरों वाली राखियां भी देखी जाती हैं. ध्यान रहे कि इस प्रकार की राखियां कभी भाई की कलाई पर नहीं बांधनी चाहिए. दरअसल, ये राखियां त्योहार के बाद भी भाइयों की कलाई पर बंधी रहती हैं और सामान्य जीवन की कई गतिविधियां इन्हें अपवित्र कर सकती हैं.
खंडित राखी- रक्षाबंधन पर बाजारों में खूब भीड़ रहती है. ऐसे में कई बार जल्दबाजी में लोग टूटी हुई या खंडित राखी खरीदकर घर ले आते हैं. भाई की कलाई पर कभी खंडित राखी नहीं बांधनी चाहिए. शास्त्रों के मुताबिक, खंडित चीजों का उपयोग अशुभ परिणाम देता है.
काले रंग की राखी- रक्षाबंधन पर कभी भी काले रंग की राखी नहीं खरीदनी चाहिए. दरअसल शास्त्रों में काले रंग को नकारात्मकता और अशुभता का प्रतीक माना गया है. इसलिए इस रंग की राखी खरीदने से बचना चाहिए.
प्लास्टिक वाली राखियां- आजकल बाजार में प्लास्टिक से बनीं राखियां भी आने लगी हैं. खासकर चीन से आने वाली राखियां प्लास्टिक की बनी होती हैं. आप ऐसी राखियां ना खरीदें क्योंकि प्लास्टिक को केतु का पदार्थ माना जाता है और ये अपयश को बढ़ाता है. इसलिए रक्षाबंधन के दिन भाइयों को प्लास्टिक की राखियां बांधने से बचें.
ऐसी राखी होती है शुभ- रेशम से बनी, कलावे की या सूती की राखी का प्रयोग करना शुभ माना जाता है. इस तरह की राखी बांधने से भाइयों के यश में वृद्धि होती है.