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बेहद अशुभ होता है पंचक, 6 मई तक भूलकर भी न करें ये काम

Panchak

Panchak

हिंदू ज्योतिष शास्त्र में पंचक ( Panchak) को अशुभ अवधि माना जाता है। हर हिंदू माह में कुछ दिन पंचक के होते हैं और इस दौरान कोई भी शुभ या मांगलिक कार्य नहीं किया जाता है। हर माह में करीब 5 दिन का समय पंचक का होता है। हिंदू पंचांग के अनुसार, मई में पंचक 2 मई दिन गुरुवार को दोपहर 2:32 पर शुरू होगा और 6 मई, मंगलवार को शाम 5:43 बजे तक रहेगा। इन दौरान ही 3 बड़े पर्व व त्योहार भी मनाए जाएंगे, जिसमें वरुथिनी एकादशी, प्रदोष व्रत और मासिक शिवरात्रि शामिल हैं।

क्या होते हैं पंचक ( Panchak) ?

पंचक ( Panchak) पांच दिन तक रहते हैं। चंद्रमा जब धनिष्ठा नक्षत्र के तीसरे चरण में प्रवेश करता है। इसके बाद जब चंद्रमा शतभिषा, पूर्वाभाद्रपद, उत्तराभाद्रपद और रेवती नक्षत्र के चार पदों पर गोचर करता है तो इसे पंचक कहा जाता है। आसान भाषा में समझें तो जब चंद्रमा कुंभ और मीन राशि में गोचर करता है तो इसे पंचक कहते हैं।

ज्योतिष शास्त्र में पंचक ( Panchak) की अवधि को बहुत ही अशुभ माना जाता है। ऐसा कहते हैं कि पंचक काल में यदि किसी इंसान की मौत हो जाए तो उसकी मृत्यु के बाद घर-परिवार के सदस्यों या फिर उस क्षेत्र के लोगों पर भी संकट मंडराने लगता है। इसलिए पंचक को बहुत ही अशुभ मानते हैं।

पंचक ( Panchak) 5 तरह के होते हैं, जिनमें सोमवार को शुरू होने वाले पंचक को राज पंचक, मंगलवार और गुरुवार को शुरू होने वाले पंचक को अग्नि पंचक कहा जाता है और शुक्रवार से शुरू होने वाले पंचक को चोर पंचक कहा जाता है। वहीं शनिवार को शुरू होने वाले पंचक को मृत्यु पंचक और रविवार को शुरू होने वाले पंचक को रोग पंचक कहा जाता है।

पंचक ( Panchak) में न करें ये काम

1- दक्षिण दिशा में यात्रा- पंचक काल में लोगों को दक्षिण दिशा में यात्रा करने से बचना चाहिए।

2- लकड़ी इकट्ठा करना- पंचक लगते ही लकड़ी इकट्ठा करना या लकड़ी से जुड़े कार्य करने की मनाही होती है। इसलिए इस अवधि में ऐसा कोई भी कार्य करना से बचें।

3- दाह संस्कार- यदि पंचक में किसी इंसान की मृत्यु हो जाए तो परिवार के सदस्यों की रक्षा के लिए दाह संस्कार के वक्त आटे, बेसन और कुश (घास) से 5 पुतले बनाकर मृतक के साथ उनका अंतिम संस्कार करना चाहिए।

4- पलंग या चारपाई बनवाना- पंचक में पलंग या चारपाई बनवाना भी अशुभ माना जाता है। इसलिए पंचक में यह गलती भूलकर भी न करें।

5- शादी-विवाह- पंचक का अशुभ काल शुरू होने के बाद विवाह, मुंडन और नामकरण संस्कार आदि कार्यक्रम वर्जित माने जाते हैं।

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