लोक आस्था के महापर्व छठ (Chhath) की तैयारियां शुरू हो चुकी हैं। यह महापर्व चार दिनों तक चलता है। इस महापर्व के हर एक दिन का अपना धार्मिक महत्व है। छठ महापर्व के दौरान छठी मैया और भगवान सूर्य की पूजा की जाती है। छठ (Chhath) का महापर्व नहाए खाय के साथ शुरू होता है और उगते सूर्य को अर्घ देने के साथ संपन्न हो जाता है।
छठ पूजा (Chhath Puja) बहुत विशेष मानी जाती है। वर्तमान ही नहीं, बल्कि छठ पूजा का महापर्व सदियों या कहें कि युगों से मनाया जा रहा है। छठ पूजा को लेकर शास्त्रों में कई विशेष नियम हैं, जिनका ध्यान अवश्य रखना चाहिए। ऐसे में आइए जानते हैं कि छठ पूजा के दौरान क्या करना चाहिए और क्या नहीं करना चाहिए?
छठ पूजा (Chhath Puja) कब से हो रही है शुरू?
इस बार छठ पूजा (Chhath Puja) की शुरुआत 25 अक्टूबर को हो रही है। ये महापर्व 28 अक्टूबर तक चलेगा। 25 तारीख को नहाय-खाय होगा। 26 तारीख को खरना होगा। 27 तारीख को शाम के समय डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा। 28 अक्टूबर को इस महापर्व के अंतिम दिन सुबह उगते सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा। इसके बाद छठ पूजा का समापन हो जाएगा।
छठ पूजा (Chhath Puja) में क्या करें?
छठ पूजा (Chhath Puja) के दौरान नहाए खाय से पहले पवित्र स्नान जरूर करना चाहिए। घर और पूजा स्थल को साफ सुथरा रखना चाहिए। व्रती महिलाओं को नारंगी सिंदूर लगाना चाहिए। रात के समय व्रत कथा पढ़नी या सुननी चाहिए। केवल घर में बना हल्का और शुद्ध भोजन ही खाना चाहिए। उगते सूर्य को अर्घ्य देने के बाद ही ठेकुआ और अन्य प्रसाद का ही सेवन करना चाहिए। प्रसाद को सबसे पहले भगवान सूर्य और छठी मैया को अर्पित करना चाहिए। झूठ, द्वेष और गुस्से से दूर रहना चाहिए।
छठ पूजा (Chhath Puja) में क्या न करें?
छठ पूजा (Chhath Puja) पर तामसिक भोजन जैसे लहसुन, प्याज, मांस, मछली, शराब और तंबाकू का सेवन नहीं करना चाहिए। बाहर का तला भुना खाना नहीं खाना चाहिए। बिना स्नान किए पूजा नहीं करनी चाहिए। पुरानी या फटी टोकरी का उपयोग नहीं करना चाहिए। प्रसाद ग्रहण करने से पहले कुछ नहीं खाना चाहिए। मसालेदार या भारी भोजन खाने से बचना चाहिए।
