Site icon 24 GhanteOnline | News in Hindi | Latest हिंदी न्यूज़

उत्पन्ना एकादशी के दिन न करें ये काम, हो जाएगा अनर्थ

Utpanna Ekadashi

Utpanna Ekadashi

मार्गशीर्ष मास (अगहन) के कृष्ण पक्ष की एकादशी को उत्पन्ना एकादशी (Utpanna Ekadashi) के नाम से जाना जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इसी दिन एकादशी माता का जन्म हुआ था, जिन्होंने भगवान विष्णु के शरीर से प्रकट होकर मूर नामक राक्षस का वध किया था। इसलिए इस व्रत का विशेष महत्व है। इस दिन व्रत और विधि-विधान से पूजा करने पर भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है और समस्त पापों का नाश होता है। आइए जानते हैं उत्पन्ना एकादशी के दिन क्या करना चाहिए और किन नियमों का पालन करना चाहिए।

उत्पन्ना एकादशी (Utpanna Ekadashi) 2025 तिथि

पंचांग के अनुसार, मार्गशीर्ष मास की एकादशी तिथि की शुरुआत 15 नवंबर, शनिवार को सुबह 12 बजकर 49 मिनट पर होगी। इस तिथि का समापन 16 नवंबर, रविवार को सुबह 2 बजकर 37 मिनट पर हो जाएगा। ऐसे में उदयातिथि के अनुसार, उत्पन्ना एकादशी का व्रत 15 नवंबर, शनिवार को रखा जाएगा।

उत्पन्ना एकादशी (Utpanna Ekadashi) के दिन क्या करें?

व्रत संकल्प दशमी की रात्रि से ही सात्विक रहें। एकादशी के दिन प्रातःकाल जल्दी उठकर स्नान करें और व्रत का संकल्प लें।

भगवान विष्णु की पूजा भगवान विष्णु और एकादशी माता की विधिवत पूजा करें। पूजा में पंचामृत, चंदन, अक्षत, फल, पुष्प, धूप, दीप और तुलसी दल का प्रयोग अवश्य करें।

मंत्र जप पूजा के दौरान “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” मंत्र का जाप करते रहें। विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करना भी बहुत शुभ माना जाता है।

भोग भगवान विष्णु को केवल फलों का भोग लगाएं। खीर में तुलसी दल मिलाकर भोग लगाना शुभ होता है। अन्न (चावल) का भोग बिल्कुल न लगाएं।

रात्रि जागरण रात के समय भगवान विष्णु के भजन-कीर्तन और कथा-पाठ के साथ रात्रि जागरण करें।

दान-पुण्य इस दिन दान और पुण्य कार्यों को प्राथमिकता दें। अपनी सामर्थ्य के अनुसार गरीबों को अन्न, वस्त्र या दक्षिणा दान करें।

पारण व्रत का पारण अगले दिन (द्वादशी तिथि) सूर्योदय के बाद ही करें। पारण से पहले ब्राह्मण या किसी जरूरतमंद को भोजन कराकर दक्षिणा दें।

उत्पन्ना एकादशी (Utpanna Ekadashi) के दिन क्या न करें?

अन्न और चावल का सेवन एकादशी के दिन अन्न और चावल का सेवन पूर्णतः वर्जित है। जो व्यक्ति व्रत नहीं भी रख रहे हैं, उन्हें भी चावल नहीं खाना चाहिए।

तामसिक भोजन इस दिन मांस, मदिरा, प्याज, लहसुन और अन्य तामसिक भोजन का सेवन बिल्कुल न करें।

तुलसी तोड़ना कादशी के दिन तुलसी के पत्ते बिल्कुल न तोड़ें। पूजा के लिए तुलसी दल एक दिन पहले ही तोड़कर रख लें। इस दिन तुलसी पर जल भी नहीं चढ़ाया जाता है, क्योंकि एकादशी माता भी निर्जला व्रत रखती हैं।

निंदा और अपशब्द किसी की निंदा, आलोचना या अपशब्द कहने से बचें। किसी से भी बुरा व्यवहार न करें।

ब्रह्मचर्य का पालन एकादशी के दिन पूर्ण रूप से ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए।

पेड़-पौधे को काटना इस शुभ दिन पर वृक्ष से पत्ते तोड़ना या किसी पेड़-पौधे को नुकसान पहुंचाना वर्जित माना गया है।

Exit mobile version