देवों में सर्वप्रथम पूजनीय विघ्नहर्ता गणेश का पूजन सभी करते हैं और उनके आशीर्वाद की कामना रखते हैं। गणपति जी का पूजन से घर में सुख-समृद्धि का वास होता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि गणेशजी की मूर्ति से जुड़े भी कुछ वास्तु नियम होते हैं जिनकी अनदेखी करना आपको अनिष्ट का भागीदार बना सकता हैं। आज इस कड़ी में हम आपको गणपति की मूती से जुड़े वास्तु नियमों की जानकारी देने जा रहे हैं जो आपके जीवन में सकारात्मकता का संचार करेंगे। तो आइये जानते हैं इनके बारे में।
भूलकर भी इन जगहों पर न लगाएं गणेशजी की मूर्ति
वास्तुशास्त्र के अनुसार, गणेशजी की मूर्ति को कहीं भी लगाने से बचें। विशेषकर बाथरूम की दीवार पर तो भूलकर भी गणेशजी की फोटो या मूर्ति न लगाएं। इसके अलावा गणेशजी की मूर्ति को बेडरूम में रखने से भी बचें। ऐसा करने से वैवाहिक जीवन में कलह और पति-पत्नी के बीच बेवजह तनाव बना ही रहता है।
गणेशजी की ऐसी मूर्ति होती है अत्यंत शुभ
वास्तुशास्त्र के अनुसार, संतान प्राप्ति की इच्छा रखने वाले भक्तों व नवविवाहित जोड़ों को गणेशजी के बाल स्वरुप की मूर्ति को घर लाना चाहिए। मान्यता है कि इससे माता-पिता का सम्मान करने वाली संतान की प्राप्ति होती है। वहीं नौकरी या फिर व्यवसाय में दिक्कतें हों तो उन्हें दूर करने के लिए घर में गणेशजी के सिंदूरी स्वरूप की प्रतिमा या फोटो लगानी चाहिए। इससे दिक्कतें दूर होती हैं और सफलता की प्राप्ति होती है।
ऐसी मूर्ति न घर में लगाएं न ही उपहार में दें
भगवान गणेश की नृत्य करती हुई मूर्ति भूलकर भी घर में न लगाएं। साथ ही किसी को उपहार में तो यह कतई न दें। मान्यता है कि गणेशजी की नृत्य करती हुई मूर्ति लगाने से घर में कलह मची रहती है। वहीं, अगर यह किसी को गिफ्ट के तौर पर दी जाए तो उसके जीवन में भी कलह ही कलह होती है।
बेटी या किसी लड़की की शादी में भी न दें
बेटी या किसी लड़की की शादी में उसे गणपति की मूर्ति देना अशुभ होता है। ऐसा इसलिए कि लक्ष्मी और गणेश हमेशा साथ होते हैं। यदि घर की लक्ष्मी के साथ गणेश को भी भेज देंगे तो घर की समृद्धि भी उनके साथ चली जाती है। वहीं, घर में रखने के लिए गणपतिजी की मूर्ति लेने जा रहे हों तो बायीं ओर सूंड वाले ( वाममुखी ) गणपति लाने चाहिए क्योंकि दाईं ओर सूंड वाले (दक्षिणाभिमुखी) गणेशजी की पूजा करने में विशेष नियमों का पालन करना होता है।