वट सावित्री व्रत (Vat Savitri Vrat) पति की लंबी आयु और सुखी वैवाहिक जीवन के लिए रखा जाता है. इस वर्ष 30 मई सोमवार को वट सावित्री व्रत (Vat Savitri Vrat) है. इस दिन सोमवती अमावस्या और शनि जयंती भी है. वट सावित्री व्रत के दिन सुहागन महिलाएं अखंड सौभाग्य की कामना से उपवास रखती हैं और वट वृक्ष की पूजा करती हैं. पुरी के ज्योतिषाचार्य डॉ. गणेश मिश्र से जानते हैं कि वट सावित्री व्रत के दिन क्या करें और क्या न करें.
वट सावित्री व्रत (Vat Savitri Vrat)
ज्येष्ठ अमावस्या तिथि का प्रारंभ: 29 मई, रविवार, दोपहर 02 बजकर 54 मिनट से
ज्येष्ठ अमावस्या तिथि का समापन: 30 मई, सोमवार, शाम 04 बजकर 59 मिनट पर
पूजा का शुभ समय: प्रात: 07 बजकर 12 मिनट से
वट सावित्री व्रत (Vat Savitri Vrat) में क्या करें
- वट सावित्री व्रत की पूजा के लिए सामग्री की व्यवस्था पहले ही कर लें, तो अच्छा रहेगा. व्रत वाले दिन परेशानी नहीं होगी.
- व्रत के लिए सुहागन महिलाएं स्वयं के श्रृंगार या सुहाग की सामग्री खरीद लें क्योंकि यह व्रत अखंड सुहाग के लिए ही रखा जाता है. व्रत वाले दिन इनका उपयोग करें.
- वट सावित्री व्रत में भीगे हुए चने खाकर ही पारण करते हैं. पारण के समय 11 भीगे चने बिना चबाए खाने होते हैं.
- इस दिन आपको वट वृक्ष यानी बरगद के पेड़ की पूजा करनी है और उसमें 7 बार कच्चा सूत लेपटना होता है. वट वृक्ष की कम से कम 7 बार और अधिक से अधिक 108 बार परिक्रमा करते हैं.
- व्रती को पूजा के समय वट सावित्री व्रत कथा पढ़नी चाहिए या सुननी चाहिए. कथा सुनने से व्रत का महत्व पता चलता है.
- अपने कपड़े और श्रृंगार की वस्तुओं में लाल रंग का उपयोग करना चाहिए. लाल रंग को सुहाग का प्रतीक माना जाता है.
वट सावित्री व्रत (Vat Savitri Vrat) में क्या न करें
- इस दिन आपको काले, सफेद या नीले रंग की चूड़ियां नहीं पहननी चाहिए. इनको नकारात्मकता का प्रतीक मानते हैं.
- काले, सफेद या नीले रंग की साड़ी भी न पहनें. इस दिन इन रंग की वस्तुओं के उपयोग से भी बचें तो अच्छा है.
- यह व्रत सुहाग के लिए रख रही हैं, तो इस दिन संयमित व्यवहार करें. जीवनसाथी के साथ वाद विवाद से बचें.
- इस दिन झूठ नहीं बोलना चाहिए. मन में किसी के प्रति घृणा, द्वेष आदि न रखें.