आषाढ़ माह की अमावस्या (Amavasya) को हलहारिणी अमावस्या या आषाढ़ी अमावस्या कहा जाता है. इस दिन पितरों का तर्पण और दान-धर्म के कार्य करने की परंपरा होती है. शास्त्रों में इसका विशेष महत्व बताया गया है. ज्योतिष शास्त्र में अमावस्या की रात को लेकर बहुत सी बातें कही गई हैं. ऐसा कहा जाता है कि अमावस्या (Amavasya) की रात नकारात्मक शक्तियों का प्रभाव बहुत बढ़ जाता है, इसलिए इस वक्त कुछ गलतियां करने से बचना चाहिए.
अमावस्या (Amavasya) कृष्ण पक्ष की अंतिम तिथि होती है. अमावस्या की रात नकारात्मक शक्तियां सक्रिय रहती हैं. यानी भूत-प्रेत, पितृ, पिशाच, और निशाचर ज्यादा सक्रिय रहते हैं. मानसिक या भावनात्मक रूप से कमजोर लोग इन नकारात्मक शक्तियों के वश में जल्दी आ सकते हैं. इन शक्तियों के संपर्क में आने के बाद इंसान का खुद पर काबू नहीं रहता है.
श्मशान के आस-पास से ना गुजरें
ज्योतिषविदों कहते हैं कि अमावस्या (Amavasya) की रात को कभी भी श्मशान या उसके आस-पास से नहीं गुजरना चाहिए. इस दौरान सूनसान रास्तों पर जाने से भी बचना चाहिए. कमजोर इच्छाशक्ति के लोगों को इन बातों का विशेष ख्याल रखना चाहिए. यदि इंसान एक बार इन शक्तियों के वश में आ जाए तो उसका पूरा जीवन तबाह हो सकता है.
अमावस्या (Amavasya) की रात जरूर करें ये काम
अमावस्या (Amavasya) की रात घर की छत पर सरसों के तेल का एक दीपक जरूर जलाएं. इससे घर हमेशा नकारात्मक शक्तियों के प्रभाव से बचा रहेगा. साथ ही मां लक्ष्मी की कृपा हमेशा आप पर बनी रहेगी. आप इष्ट देव या कुल देव के नाम से भी दीपक प्रज्वलित कर सकते हैं. ऐसा करने से घर में धन के भंडार कभी खाली नहीं होते हैं.