देश में कई ऐसे मेडिकल कॉलेज और यूनिवर्सिटीज हैं, जो स्टूडेंट्स को MBBS कोर्स करवाते हैं. हालांकि, MBBS, BDS जैसे कोर्सेज करवाने वाले फर्जी संस्थानों की कमी नहीं है. यही वजह है कि नेशनल मेडिकल कमीशन (NMC) समय-समय पर स्टूडेंट्स को ऐसे संस्थानों को लेकर आगाह करवाता रहता है, ताकि एडमिशन लेने के बाद उनका साल बर्बाद ना हो. NMC ने शुक्रवार को स्टूडेंट्स को MBBS सीटों के संबंध में सिंघानिया यूनिवर्सिटी (Singhania University) द्वारा न्यूजपेपर में पब्लिश होने वाले ‘भ्रामक’ विज्ञापन को लेकर चेतावनी दी है.
कमीशन ने स्पष्ट किया है कि यदि कोई मेडिकल स्टूडेंट यूनिवर्सिटी में एडमिशन लेता है, तो उसके एनरॉलमेंट को अवैध माना जाएगा. NMC ने कहा, ‘यूनिवर्सिटी की तरफ से एक अलग मामले में हाईकोर्ट के फैसले के आधार पर एमबीबीएस के लिए ऑनलाइन एप्लिकेशन मांगे जा रहे हैं.’
NMC ने क्या कहा?
राजस्थान में मौजूद यूनिवर्सिटी का दावा है कि इंदिरा गांधी नेशनल ओपन यूनिवर्सिटी (IGNOU) के मामले में हाईकोर्ट ने कहा था कि IMC एक्ट में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है, जो बोर्ड ऑफ गवर्नर्स- मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया (बीओजी-एमसीआई) को इग्नू को MBBS और अन्य मेडिकल कोर्सेज में एडमिशन लेने और शिक्षा प्रदान करने में सक्षम बनाने के लिए अनुमति या मान्यता प्रदान करने का अधिकार देता है.
एनएमसी ने आगे कहा, ‘सिंघानिया यूनिवर्सिटी ने चालाकी से इस बात का दावा किया कि ये हाईकोर्ट के फैसले के अंदर आता है. लेकिन इसने बिना केस टाइटल और हाईकोर्ट के नाम का जिक्र किए ये बात कही.’ एनएमसी ने सिंघानिया यूनिवर्सिटी के विज्ञापन को निराधार और ओछा बताते हुए कहा कि यह पूरी तरह से कानून का उल्लंघन है.
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नेशनल मेडिकल कमीशन ने स्पष्ट किया, ‘इस बात को बताया जाता है कि सिंघानिया यूनिवर्सिटी द्वारा किया गया दावा इंडियन मेडिकल काउंसिल एक्ट, 1956 और एनएमसी अधिनियम, 2019 और उसके तहत बनाए गए नियमों के प्रावधानों का उल्लंघन है. इस तरह, सिंघानिया यूनिवर्सिटी, पचेरी बारी, जिला झुंझनु, राजस्थान द्वारा मेडिसिन (एमबीबीएस) के कोर्स में किया गया कोई भी एडमिशन अवैध माना जाएगा.’