रक्षाबंधन (Raksha Bandhan) के दिन सिर्फ राखी का बंधन ही नहीं, भावनाएं और संस्कार भी भाई की कलाई पर सजते हैं। ऐसे में राखी चुनते वक्त केवल बाहरी सुंदरता नहीं, बल्कि उसके रंग, प्रतीक और सामग्री को भी ध्यान में रखना जरूरी है। गलत राखी न सिर्फ त्योहार की ऊर्जा को कमजोर कर सकती है, बल्कि रिश्तों पर भी नकारात्मक असर डाल सकती है। इसलिए रक्षाबंधन पर राखी चुनते समय सजग रहें और शुभता को प्राथमिकता दें।
रक्षाबंधन (Raksha Bandhan) भाई-बहन के पवित्र रिश्ते का त्योहार है, जहां राखी सिर्फ एक धागा नहीं, बल्कि रक्षा, प्रेम और शुभता का प्रतीक होती है। बहन जब भाई की कलाई पर राखी बांधती है, तो उसमें उसके मन का आशीर्वाद और भविष्य की शुभ कामनाएं समाहित होती हैं। लेकिन क्या आप जानती हैं कि राखी का रंग, उसका आकार और उस पर बने चिन्ह भी आपके रिश्ते और भाई के भाग्य पर गहरा प्रभाव डाल सकते हैं?
काली राखी नकारात्मक ऊर्जा का प्रतीक
ज्योतिष के अनुसार काला रंग शनि और राहु जैसे क्रूर ग्रहों से जुड़ा हुआ है। यह नकारात्मकता, डर और रुकावट का प्रतीक माना जाता है। भाई को काली राखी बांधना उसके जीवन में मानसिक दबाव या दुर्भाग्य ला सकता है। इसलिए इस रंग से बचना चाहिए।
नीली राखी रिश्तों में ठंडापन ला सकती है
नीला रंग ज्योतिष में शनि ग्रह का संकेत देता है, जिसे न्यायप्रिय लेकिन कठोर ग्रह माना गया है। रक्षाबंधन जैसे सौम्य और भावनात्मक पर्व पर नीले रंग की राखी रिश्तों में ठंडापन या दूरी का प्रतीक बन सकती है। यह रंग भी टालना चाहिए।
टूटी या खंडित राखी अपूर्णता और विघ्न का संकेत
यदि राखी कहीं से फटी, उलझी या टूटी हुई है, तो उसे भाई को बिल्कुल नहीं बांधना चाहिए। खंडित वस्तु अशुद्ध मानी जाती है और यह जीवन में अधूरेपन, विघ्न और रुकावट का प्रतीक बन सकती है। राखी बांधने से पहले उसकी स्थिति अवश्य जांच लें।
अशुभ चिन्ह वाली राखी ग्रह दोष को बुलावा
राखी पर बने चिन्हों का भी विशेष महत्व होता है। यदि राखी पर, अधूरा चक्र, या उल्टे त्रिकोण जैसे डिजाइन हों, तो वह शनि या राहु से प्रभावित मानी जाती है। ऐसे चिन्ह अनजाने में नकारात्मक प्रभाव डाल सकते हैं।
नुकीली या ब्लेड जैसी वस्तुओं वाली राखी आक्रामकता का प्रतीक
राखी पर आजकल डिजाइन के नाम पर नुकीली वस्तुएं, स्टील के टुकड़े या ब्लेड जैसे सजावटी आइटम लगा दिए जाते हैं। शास्त्रों में ऐसी वस्तुएं आक्रामकता, चोट और कटाव का संकेत मानी जाती हैं। ऐसी राखियां प्रेम के बजाय तनाव का संकेत बन सकती हैं।
प्लास्टिक की राखी अशुद्धता और कृत्रिमता का प्रतीक
राखी जितनी प्राकृतिक और शुद्ध सामग्री से बनी हो, उतना बेहतर होगा। प्लास्टिक को शास्त्रों में अशुद्ध और टिकाऊ नहीं माना गया है। इससे बनी राखियां पर्यावरण और आध्यात्मिक दृष्टि से भी अनुपयुक्त मानी जाती हैं।इसके स्थान पर रेशमी धागे, चंदन या मौली से बनी राखियों का प्रयोग करें।
कैसी राखी बांधें?
– रेशमी धागे से बनी पारंपरिक राखी।
– मौली या कच्चे सूत से बनी राखी।
– चंदन, रोली या कुमकुम लगे हुए शुभ प्रतीक वाली राखी।
– स्वास्तिक, ओम, श्री जैसे चिन्हों वाली राखी।