इस वर्ष की अंतिम सोमवती अमावस्या (Somvati Amavasya) 30 मई दिन सोमवार को है. इस दिन शनि जयंती और वट सावित्री व्रत भी है. सोमवती अमावस्या (Somvati Amavasya) के प्रात: पवित्र नदियों में स्नान करने और दान करने से पुण्य लाभ होता है. सोमवती अमावस्या का दिन शिव पूजा के लिए भी उत्तम माना जाता है, वहीं पीपल के पेड़, पितरों आदि की भी पूजा इस दिन करते हैं. काशी के ज्योतिषाचार्य चक्रपाणि भट्ट से जानते हैं सोमवती अमावस्या के उपायों के बारे में.
सोमवती अमावस्या (Somvati Amavasya) के उपाय
- सोमवती अमावस्या (Somvati Amavasya) के दिन स्नान दान के बाद भगवान शिव और माता गौरी की पूजा विधिपूर्वक करें. उन दोनों की कृपा से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं. इस दिन शिव जी को बेलपत्र, भांग, धतूरा, भस्म, गंगाजल, गाय का दूध, शमी पत्र आदि अर्पित करें.
- सोमवती अमावस्या (Somvati Amavasya) के अवसर पर पीपल के पेड़ की पूजा करने, उसे जल देने और उसकी परिक्रमा करने का विधान है. इसमें देवी देवाताओं का वास होता है. ऐसा करने से सुख समृद्धि बढ़ती है.
- सोमवती अमावस्या (Somvati Amavasya) वाले दिन आप तुलसी के पौधे की पूजा करें और कम से कम 108 बार उसकी परिक्रमा करें. ऐसा करने से भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है और दरिद्रता दूर होती है.
- सोमवती अमावस्या (Somvati Amavasya) वाले दिन स्नान के बाद विघ्नहर्ता श्री गणेश जी की पूजा करें. उनको सुपारी अर्पित करें. उनके लिए घी का दीपक जलाएं. उनकी कृपा से आपकी मनोकामनाएं पूरी होंगी. कार्यों में आने वाली बाधाएं दूर होंगी.
- सोमवती अमावस्या (Somvati Amavasya) वाले दिन पितरों को प्रसन्न करें. उनकी पूजा करें. उनके आशीर्वाद से संतान वृद्धि का योग बनता है. वे खुश होकर अपने वंश की बढ़ोत्तरी का आशीष देते हैं.
- इस दिन शिव पूजा करने और नदी में नाग नागिन का जोड़ा पूजन के बाद प्रवाहित करने से कालसर्प दोष से भी मुक्ति मिलती है. हालांकि बहुत से ज्योतिषाचार्य कालसर्प दोष में विश्वास नहीं रखते हैं.