हम जब सोते हैं तब हमारे शरीर के भीतर कई सारी रसायनिक गतिविधियां होती हैं। हम जो भोजन खाते हैं , वो पचने के बाद ऊर्जा में परिवर्तित होता है। जिस माध्यम से यह प्रक्रिया होती है, वह मेटाबॉलिज्म है। मेटाबॉलिज्म के सुस्त पड़ने से शरीर में थकावट महसूस होने लगती है, डायबिटीज होने की संभावनाएं भी बढ़ जाती है। कई बार अचानक वजन बढ़ने या घटने लगता है। शरीर में चुस्ती-फुर्ती नहीं रहती है, समय-बेसमय शरीर में दर्द होने लगता है, मांसपेशियों में कमजोरी, ह्रदय गति का कम होना, अवसाद आदि समस्याएं इसी कारण से होने लगती है। इसलिए बहुत जरूरी है कि हमारा मेटाबॉलिज्म कम न रहे।
पूरे दिन शरीर में ऊर्जा नियंत्रित रहे इसके लिए बहुत जरूरी है कि आप सुबह उठकर व्यवस्थित नाश्ता करें। जो लोग सुबह नाश्ता नहीं लेते और लंबे समय तक भूखे रहते हैं, उनका मेटाबॉलिज्म सुस्त रहता है। वे दिनभर आलस्य का शिकार रहते हैं।
मेटाबॉलिज्म बढ़ाने के लिए दही का सेवन बहुत लाभकारी है। दही मतलब दही, ऐसा नहीं कि दही के साथ आप कोई तली-गली चीज का सेवन करें। कोशिश करें कि कम फैट वाला दही खाएं। दही में ऐसे पोषक तत्व होते हैं, जो कि शरीर का मेटाबॉलिज्म बढ़ाते हैं इसलिए दिन के भोजन के साथ एक कटोरी दही जरूर खाएं।
यदि आपको डार्क चॉकलेट पसंद है तब तो आपका मेटाबॉलिज्म कभी कमजोर नहीं हो सकता है। डार्क चॉकलेट में मौजूद कैफिन और एंटीऑक्सीडेंट मेटाबॉलिज्म बढ़ाते हैं। यदि मेटाबॉलिज्म के नाम पर आप सामान्य चॉकलेट खाएंगे तो नुकसान पहुंचाएगी क्योंकि उसमें शुगर बहुत अधिक होती है।
मेटाबॉलिज्म बढ़ाने के लिए बहुत जरूरी है कि दिनभर में आप थोड़ी देर के लिए खुली हवा में बैठकर लंबी गहरी सांसें लें। ऐसा करने से शरीर में प्राणवायु अच्छे से जाएगी जो कि अधिक से अधिक ऊर्जा खर्च करने में आपकी सहायता करेगी। जब शरीर की ऊर्जा अधिक से अधिक खर्च होगी तो शरीर में सुस्ती महसूस नहीं होगी।
सोयाबीन का तेल खाना भी बहुत जरूरी है। यह मेटाबॉलिज्म का विकास करता है लेकिन ध्यान रखें कि बहुत अधिक मात्रा में इसका सेवन हानिकारक हो सकता है। सोयाबीन के तेल में ओमेगा-3 फैटी एसिड्स होते हैं जो कि मेटाबॉलिज्म को बढ़ाने के लिए बहुत लाभदायक है। इसलिए थोड़ी मात्रा में ही अपने खाने में इसे शामिल जरूर करें।