हिंदू धर्म में जन्माष्टमी (Janmashtami) का त्योहार बड़े ही धूमधाम के साथ मनाया जाता है. पंचांग के अनुसार, हर वर्ष भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को जन्माष्टमी (Janmashtami) मनाई जाती है. ऐसा माना जाता है कि इसी दिन भगवान कृष्ण ने पृथ्वी पर अवतार लिया था. कृष्ण भक्त इस दिन पूरी श्रद्धा और भक्ति के साथ उनकी आराधना करते हैं. जानते हैं इंदौर के रहने वाले ज्योतिषी एवं वास्तु सलाहकार पंडित कृष्ण कांत शर्मा से बांसुरी से जुड़े वास्तु के कुछ उपाय के बारे में यहां.
वास्तु दोष दूर करने के लिए
वास्तु शास्त्र में बताया गया है कि यदि किसी व्यक्ति के घर में वास्तु दोष है जिस कारण उसे कई परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है तो जन्माष्टमी के दिन आप अपने घर में बांसुरी लाकर भगवान कृष्ण को पूजा के दौरान अर्पित कर दें और दूसरे दिन उस बांसुरी को अपने घर की पूर्व दीवार पर तिरछी लगा दें. वास्तुशास्त्र में ऐसा बताया गया है कि ऐसा करने से घर का वास्तु दोष खत्म होता है.
व्यापार में लाभ प्राप्ति
ऐसा माना जाता है कि जिस घर में लकड़ी से बनी बांसुरी होती है. उस घर पर सदैव कृष्ण की कृपा बनी रहती है. वास्तु शास्त्र में भी बांसुरी को शांति और समृद्धि का प्रतीक माना गया है. व्यापार व्यवसाय में उन्नति के लिए आप अपने घर दुकान के मुख्य द्वार पर दो बांसुरी लगा सकते हैं. ऐसा करने से आपको व्यापार में उन्नति प्राप्त होगी.
दांपत्य जीवन को खुशहाल बनाने के लिए
यदि किसी व्यक्ति के घर में पति-पत्नी के बीच हमेशा अनबन बनी रहती है. तो ऐसे में जन्माष्टमी के दिन बांसुरी लाकर भगवान कृष्ण को अर्पित करनी चाहिए और दूसरे दिन उस बांसुरी को अपने बिस्तर के पास रख दें. ऐसा करने से दांपत्य जीवन सुखमय होगा.
नकारात्मक ऊर्जा से मुक्ति के लिए
ज्योतिष शास्त्र और वास्तु शास्त्र में बताया गया है कि बांसुरी बजाने से उससे उत्पन्न होने वाली ध्वनि नकारात्मक ऊर्जा को खत्म कर देती है और वातावरण में सकारात्मक ऊर्जा का संचार करती है. यदि किसी व्यक्ति के घर में नकारात्मक शक्तियों का वास है, तो ऐसे व्यक्ति को चांदी की बांसुरी लाकर भगवान कृष्ण को अर्पित करना चाहिए. यदि चांदी की बांसुरी नहीं ले पाते तो बांस की बांसुरी भी श्रीकृष्ण को अर्पित कर सकते हैं.