दिवाली के पांच दिवसीय उत्सव में दूसरा त्योहार नरक चतुर्दशी (Narak Chaturdashi) के रूप में मनाया जाता है। यह पर्व कार्तिक महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को पड़ता है। इस पर्व को ‘छोटी दिवाली’ या ‘रूप चौदस’ के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन विशेष रूप से मृत्यु के देवता यमराज की पूजा की जाती है। इस दिन यमराज की पूजा करने से अकाल मृत्यु का भय दूर हो जाता है। वैदिक पंचांग के अनुसार, इस साल नरक चतुर्दशी (Narak Chaturdashi) 19 अक्टूबर को मनाई जाएगी।
हिंदू धर्म शास्त्रों में बताया गया है कि इस दिन भगवान श्रीकृष्ण ने नरकासुर का वध किया था। इस दिन यमराज की पूजा के साथ-साथ कुछ विशेष उपाय भी किए जाते हैं। मान्यता है कि इस दिन किए गए कुछ विशेष उपायों से व्यक्ति नरक जाने के भय से मुक्त हो जाता है। साथ ही उसके घर के सभी दुख दूर हो जाते हैं, तो आइए इस दिन से जुड़े उपाय जानते हैं।
नरक चतुर्दशी (Narak Chaturdashi) के उपाय
नरक चतुर्दशी (Narak Chaturdashi) के दिन शाम या रात के समय एक मिट्टी का चौमुखी दीपक लेना चाहिए। फिर उसमें सरसों का तेल डालना चाहिए। इसके बाद दीपक में चारों दिशाओं की ओर मुख करके बत्तियां लगानी चाहिए। रात के समय जब घर के सभी सदस्य भोजन करके सोने जा रहे हों तब दीपक को जलाना चाहिए। दीपक घर के बाहर मुख्य द्वार के पास रखा जाना चाहिए। दीपक का मुख दक्षिण दिशा की ओर होना चाहिए।
इस यम दीपक को घर के सबसे बड़े सदस्य को ही जलाना चाहिए। दीपक जलाते समय हाथ जोड़कर “मृत्युना पाशदण्डाभ्यां कालेन च मया सह या त्रयोदश्यां दीपदानात् सूर्यजः प्रीयतामिति” मंत्र का जाप करना चाहिए। फिर दीपक को रखने के बाद उसे पलटकर नहीं देखना चाहिए। इतना ही नहीं घर के सदस्यों को भी ये दीपक देखना वर्जित है।
दीपक जलाने से प्रसन्न होते हैं यम
इस चौमुखी दीपक को जलाने से यमराज प्रसन्न होते हैं। दीपक परिवार के सदस्यों की अकाल मृत्यु और गंभीर संकटों से रक्षा करता है। दीपक से घर में मौजूद सभी नकारात्मक ऊर्जा नष्ट हो जाती है। घर में सुख-शांति रहती है।