कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि के दिन नरक चतुर्दशी (Narak Chaturdashi) का त्योहार मनाया जाता है। नरक चतुर्दशी को छोटी दिवाली, नरक चौदस, रूप चौदस या रूप चतुर्दशी के नाम से भी जाना जाता है। शास्त्रों में बताया गया है कि नरक चतुर्दशी के दिन मृत्यु के देवता यमराज की पूजा की जाती है। इस दिन शाम के समय दीपक जलाया जाता है। नरक चतुर्दशी की पूजा अकाल मृत्यु के भय और अच्छे स्वास्थ्य के लिए की जाती है।
नरक चतुर्दशी(Narak Chaturdashi) के दिन दीपक जलाने का तरीका
चतुर्दशी का अर्थ है चौदहवां दिन। इस दिन घरों में यमराज की पूजा की जाती है। छोटी दिवाली को सौन्दर्य प्राप्ति और आयु प्राप्ति का दिन भी माना जाता है। नरक चतुर्दशी (Narak Chaturdashi) को रात्रि के समय यम के निमित्त दीपदान करने का विधान है इसलिए रात में दक्षिण दिशा की ओर यम के नाम का दीप अवश्य प्रज्वलित करना चाहिए।
दीपक को घर के मुख्य द्वार के बाईं तरफ जलाया जाता है लेकिन इसे जलाने से पहले थोड़ा सा अनाजा जैसे गेहूं या धान जमीन पर रखकर उसका घेर बनाकर उसके ऊपर सरसों के तेल का एकमुखी दीपक रखें। दीपक की बाती दक्षिण दिशा की तरफ होनी चाहिए। इस दीपक के पास फूल और जल चढ़ाकर परिवारवालों की लंबी उम्र और अच्छे स्वास्थ्य के लिए प्रार्थना करें।
नरक चतुर्दशी (Narak Chaturdashi) के उपाय
– शास्त्रों में कहा गया है कि नरक चतुर्दशी (Narak Chaturdashi) के दिन लक्ष्मी माता तेल में निवास करती हैं। इस दिन प्रात: उठकर पूरे शरीर में तेल मालिश करें। कुछ देर बाद स्नान करें। ऐसे करने से आर्थिक तंगी दूर होती है।
– जीवन के कष्टों को दूर करने के लिए इस दिन हनुमान जी को सिंदूर और चमेली का तेल मिलाकर चोला चढ़ाने की मानयता है। माना जाता है हनुमान जी का जन्म नरक चतुर्दशी के दिन ही हुआ था।
– नरक चतुर्दशी (Narak Chaturdashi) के दिन यम देव के नाम का दीया जलाने के साथ ही सूर्यास्त के बाद घरों के दरवाजे पर 14 दीपक जलाकर दक्षिण दिशा की ओर मुंह करके रखना चाहिए।
– नरक चतुर्दशी (Narak Chaturdashi) के दिन भगवान कृष्ण की पूजा करना काफी शुभ माना जाता है । कहा जाता है कि इसी दिन भगवान श्रीकृष्ण ने नरकासुर का वध किया था।
– नरक चतुर्दशी (Narak Chaturdashi) के दिन माता कालिका की भी पूजा की जाती है। मां कालिका की पूजा अर्चना करने से संताप मिट जाता है और सारी मनोकामनाओं की पूर्ति होती है।