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शनिवार को करें ये खास उपाय, शनि देव हर लेंगे सभी कष्ट

Shani Jayanti

Shani Jayanti

सनातन धर्म में शनिवार का दिन शनिदेव (Shani Dev) की पूजा के लिए समर्पित है। शनिवार के दिन जो लोग श्रद्धापूर्वक शनिदेव की पूजा करते हैं, उनके जीवन में चल रहे सभी कष्ट दूर होते हैं। शाम के समय शनिदेव की पूजा बहुत शुभ मानी जाती है। रात के समय पीपल के पेड़ के पास सरसों के तेल का दीपक जलाएं। इसके बाद शनिदेव (Shani Dev) के 108 नामों का जाप करें। ऐसा अगर लगातार 8 शनिवार किया जाए, तो शनिदेव की कृपा प्राप्त होती है और कुंडली में अशुभ ग्रहों का प्रभाव भी कम होता है।

भगवान शनि (Shani Dev) के 108 नाम

शनैश्चर
शांत
सर्वाभीष्टप्रदायिन्
शरण्य
वरेण्य
सर्वेश
सौम्य
सुरवन्द्य
सुरलोकविहारिण्
सुखासनोपविष्ट
सुन्दर
घन
घनरूप
घनाभरणधारिण्
घनसारविलेप
खद्योत
मंद
मंदचेष्ट
महनीयगुणात्मन्
मर्त्यपावनपद
महेश
छायापुत्र
शर्व
शततूणीरधारिण्
चरस्थिरस्वभाव
अचञ्चल
नीलवर्ण
नित्य
नीलाञ्जननिभ
नीलाम्बरविभूषण
निश्चल
वैद्य
विधिरूप
विरोधाधारभूमि
भेदास्पद स्वभाव
वज्रदेह
वैराग्यद
वीर
वीतरोगभय
विपत्परम्परेश
विश्ववंद्य
गृध्नवाह
गूढ़
कूर्मांग
कुरूपिण्
कुत्सित
गुणाढ्य
गोचर
अविद्यामूलनाश
विद्याविद्यास्वरूपिण्
आयुष्यकारण
आपदुद्धर्त्र
विष्णुभक्त
वशिन्
विविधागमवेदिन्
विधिस्तुत्य
वंद्य
विरुपाक्ष
वरिष्ठ
गरिष्ठ
वज्रांगकुशधर
वरदाभयहस्त
वामन
ज्येष्ठापत्नीसमेत
श्रेष्ठ
मितभाषिण्
कष्टौघनाशकर्त्र
पुष्टिद
स्तुत्य
स्तोत्रगम्य
भक्तिवश्य
भानु
भानुपुत्र
भव्य
पावन
धनुर्मण्डलसंस्था
धनदा
धनुष्मत्
तनुप्रकाशदेह
तामस
अशेषजनवंद्य
विशेषफलदायिन्
वशीकृतजनेश
पशूनांपति
खेचर
घननीलांबर
काठिन्यमानस
आर्यगणस्तुत्य
नीलच्छत्र
नित्य
निर्गुण
गुणात्मन्
निंद्य
वंदनीय
धीर
दिव्यदेह
दीनार्तिहरण
दैन्यनाशकराय
आर्यजनगण्य
क्रूर
क्रूरचेष्ट
कामक्रोधकर
कलत्रपुत्रशत्रुत्वकारण
परिपोषितभक्त
परभीतिहर
भक्तसंघमनोऽभीष्टफलद
निरामय
शनि

सुखमय जीवन के लिए मंत्र

अपराधसहस्त्राणि क्रियन्तेऽहर्निशं मया।

दासोऽयमिति मां मत्वा क्षमस्व परमेश्वर।।

गतं पापं गतं दु:खं गतं दारिद्रय मेव च।

आगता: सुख-संपत्ति पुण्योऽहं तव दर्शनात्।।

शनि देव का वैदिक मंत्र

ऊँ शन्नो देवीरभिष्टडआपो भवन्तुपीतये।

शनि (Shani) पूजन मंत्र

ऊँ त्रयम्बकं यजामहे सुगंधिम पुष्टिवर्धनम ।

उर्वारुक मिव बन्धनान मृत्योर्मुक्षीय मा मृतात ।

ॐ शन्नोदेवीरभिष्टय आपो भवन्तु पीतये।शंयोरभिश्रवन्तु नः। ऊँ शं शनैश्चराय नमः।

ऊँ नीलांजनसमाभासं रविपुत्रं यमाग्रजम्‌।छायामार्तण्डसम्भूतं तं नमामि शनैश्चरम्‌।

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