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अगहन मास में करें ये उपाय, हर काम में सफलता मिलने के साथ होगी हर परेशानी दूर

Lord Surya Narayana

Lord Surya Narayana

लाइफ़स्टाइल डेस्क। जिस महीने की पूर्णिमा तिथि जिस नक्षत्र से युक्त होती है, उस नक्षत्र के आधार पर ही उस महीने का नामकरण किया जाता है। चूंकि इस महीने की पूर्णिमा मृगशिरा नक्षत्र से युक्त होती है, इसलिये इस माह को मार्गशीर्ष कहा जाता है। इसके अलावा इसे मगसर, मंगसिर, अगहन, अग्रहायण आदि नामों से भी जाना जाता है। जानिए आचार्य इंदु प्रकाश से मार्गशीर्ष के माह में कौन-कौन से मंत्रों का जाप करने से हर इच्छा होगी पूरी।

मार्गशीर्ष  के दौरान सुबह जल्दी उठकर स्नान  से पवित्र होकर भगवान का ध्यान करना चाहिए और उनकी पूजा-अर्चना करनी चाहिए। ऐसा करने से व्यक्ति की मेंटल पावर अच्छी होती हैं और वो अपने फैसले ठीक ढंग से ले पाता है।

अगर आप जीवन के हर अवरोध को दूर करना चाहते हैं, तो मार्गशीर्ष माह के दौरान अपने गुरु और  इष्ट देव को भी रोज़ प्रणाम करना चाहिए। मार्गशीर्ष माह के दौरान श्री हरि को तुलसी, गंगाजल और आंवला अर्पित करने का विधान है।  ऐसा करने से  इच्छाएं पूरी होती हैं।

अगर आप  बुराईयों से छुटकारा पाना चाहते हैं, तो इस महीने के दौरान आपको भगवान की मूर्ति को शंख में भरे जल से स्नान कराना चाहिए। आपको  बुराईयों से छुटकारा मिलेगा।

मार्गशीर्ष महीने के दौरान ‘विष्णु सहस्त्रनाम’, ‘गजेन्द्रमोक्ष’ और ‘श्रीमद भागवत’ गीता का पाठ करना भी बड़ा ही पुण्यकारक है। आपको बता दूं कि इस दौरान विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करने वाले व्यक्ति को यश-सम्मान, सुख-सौभाग्य, सफलता, ऐश्वर्य और आरोग्य की प्राप्ति होती है। गजेन्द्रमोक्ष का पाठ करने वाले व्यक्ति के मन में उत्साह बना रहता है और  बौद्धिक क्षमता अच्छी होती है, जबकि ‘श्रीमद भागवत’ गीता का पाठ करना हर तरह से फलदायी है।

आप पूरे महीने के दौरान रोज थोड़ा-थोड़ा करके गीता का पाठ सम्पूर्ण कर सकते हैं, लेकिन जो लोग भागवत गीता का पाठ करने में असमर्थ हों, वो  लोगों  भागवत गीता के दर्शन करके उसे प्रणाम जरूर करें।

जिन लोगों के घर में भागवत गीता की पुस्तक उपलब्ध नहीं है, उन्हें इस पवित्र माह के दौरान अपने घर में भागवत गीता लानी चाहिए और रोज उसे छूकर प्रणाम करना चाहिए। इससे  जीवन के हर उलझे पहलू को समझने में आसानी होगी। मार्गशीर्ष शुक्ल पक्ष की एकादशी को गीता जयंती के रूप में मनाया जाता है। इसी दिन कुरुक्षेत्र की भूमि पर भगवान श्री कृष्ण ने अर्जुन को गीता का उपदेश दिया था।

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