हिंदू धर्म में तुलसी का पौधा बहुत पवित्र माना जाता है और पूजा-पाठ में इसका विशेष महत्व है। तुलसी के पौधे में मां लक्ष्मी का वास माना जाता है। शास्त्रों में बताया गया है कि तुलसी की निचली शाखाओं और तने में अन्य सभी देवी-देवताओं और सभी हिंदू तीर्थों का वास होता है। कार्तिक माह में तुलसी के पौधे की विशेष पूजा की जाती है और विवाह (Tulsi Vivah) कराया जाता है।
तुलसी विवाह (Tulsi Vivah) कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि के दिन किया जाता है। यह शुभ दिन भगवान विष्णु और देवी तुलसी के मिलन का प्रतीक है। हर साल देवउठनी एकादशी पर श्री हरि के स्वरूप शालिग्राम जी और देवी तुलसी का विवाह कराया जाता है।
तुलसी विवाह ( Tulsi Vivah) कब है?
पंचांग के अनुसार कार्तिक एकदाशी तिथि 12 नवंबर, मंगलवार शाम 6.42 बजे से 13 नवंबर, बुधवार शाम 7.24 बजे तक रहेगी। उदय तिथि के अनुसार 13 नवंबर की शाम को तुलसी विवाह (Tulsi Vivah) मनाया जाएगा।
तुलसी विवाह ( Tulsi Vivah) के दिन करें से काम
तुलसी के पौधे को अच्छी तरह से साफ करें और उसकी पूजा करें।
तुलसी के पौधे को गंगाजल से स्नान कराएं।
तुलसी के पौधे को फूलों और रोली से सजाएं।
शालिग्राम शिला को भी अच्छी तरह से साफ करें और उसकी पूजा करें।
शालिग्राम शिला को भी गंगाजल से स्नान कराएं।
शालिग्राम शिला को फूलों और रोली से सजाएं।
तुलसी और शालिग्राम के विवाह के लिए एक छोटा सा मंडप सजाएं।
विवाह के दौरान मंत्रों का जाप करें। पूजा की विधि और कथा पढ़ने के लिए आचार्य को बुलाया जा सकता है।
विवाह के बाद तुलसी का दान शुभ माना जाता है। गरीबों को भोजन या कपड़े का दान करना शुभ होता है।