त्रिकोणासन (Trikonasana) खड़े होकर करने वाला एक महत्वपूर्ण आसन है। ‘त्रिकोण’ का अर्थ होता है, त्रिभुज और आसन का अर्थ योग है। इसका मतलब यह हुआ कि इस आसन में शरीर त्रिकोण की आकृति का हो जाता है, इसीलिए इसका नाम त्रिकोणासन रखा गया है। इस योग को वृक्षासन से पहले करना चाहिए। जबकि त्रिकोणासन के बाद वीरभद्रासन करना चाहिए। इस योग को रोजाना कम से कम 5 -10 मिनट जरूर करें। यह एक ऐसा आसन है, जिसे करने से कमर दर्द में आराम मिलता है, पाचन तंत्र (digestive system) मजबूत होता है और मानसिक तनाव से भी छुटकारा मिलता है। इसके साथ ही कई अन्य लाभ भी हैं। आइए जानते हैं कि त्रिकोणासन कैसे करें और इसके फायदे क्या हैं…
त्रिकोणासन कैसे करें
– दोनों पैरों के बीच 2 से 3 फुट का फासला छोड़कर सीधे खड़े हो जाये।
– दायें पैर (राईट लेग) को दायी ओर मोड़कर रखे।
– अपने कंधो की उचाई तक दोनों हाथों को बगल में फैलाए।
– अब श्वास ले और दायी ओर (राईट साइड) झुके। झुकते समय नजर सामने रखे।
– दायें हाथ से दायें पैर को चुने की कोशिश करे।
– बायाँ हाथ (लेफ्ट हैण्ड) सीधा आकाश की और रखे और नजर बायें हाथ की उंगलियों की और रखे।
– अब वापस सीधी अवस्था में लौटकर दूसरी और भी हाथ बदलकर यह अभ्यास करे।
– ऐसे कम से कम 20 बार करे।
– शरीर उठाते समय श्वास अन्दर ले औए झुकते समय श्वास छोड़े।
त्रिकोणासन के लाभ
– त्रिकोणासन का नियमित अभ्यास घुटनों, टखने, पैरों, सीने और हाथों को मजबूत बनाता है।
– त्रिकोणासन ग्रोइन, हिप्स, हैमस्ट्रिंग, पिंडली, सीने, स्पाइन और कंधों को स्ट्रेच देता है।
– त्रिकोणासन शारीरिक और मानसिक स्थिरता को बढ़ाने में मदद करता है।
– ये पाचन सुधारता है और पेट के निचले अंगों को उत्तेजित करता है।
– त्रिकोणासन फ्लैट फिट, ऑस्टियोपोरोसिस, गर्दन के दर्द और नपुंसकता को दूर करता है।
– ये स्ट्रेस को कम करता है और एंग्जाइटी को ठीक करता है।
– इस योगाभ्यास से आप अपने स्टैमिना को बढ़ा सकते हैं।
– इस आसन से आप अपने हिप्स को स्ट्रांग बना सकते हैं, तथा इसमें होने वाली परेशानियों से बच सकते हैं।
– इस आसन का नियमित अभ्यास करने से आप त्वचा संबंधी प्रोब्लेम्स से बच जाते हैं।
– त्वचा पर बार-बार दाने एवं मुंहासे निकलने की समस्या दूर हो जाती है और चेहरे को चमकदार बनाता है।
त्रिकोणासन के दौरान बरते ये सावधानियां
– बहुत अधिक कमर दर्द होने पर यह आसन नहीं करना चाहिए।
– स्लिप डिस्क वाले को इस आसन के अभ्यास से बचना चाहिए।
– High और low BP में इसको करने से बचना चाहिए।
– अगर सिर में चक्कर आ रहा हो तो इसका अभ्यास न करें।
– गर्दन और पीठ में अधिक दर्द होने पर इसके प्रैक्टिस से बचें
– अगर आप माइग्रेन की समस्या है तो इसको नहीं करनी चाहिए।
– हाइपर एसिडिटी की समस्या में इसको करने से बचें।
आपको बता दे, हर साल 21 जून को अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस सेलिब्रेट किया जाता है। योग दिवस की शुरुआत 2015 को हुई थी, जिसके बाद हर साल 21 जून को दुनियाभर में योग दिवस मनाया जाता है। योग दिवस का महत्व यही है कि लोगों में योगाभ्यास के प्रति जागरुकता फैलाई जा सके। योग, प्राणायाम और योगासनों का अभ्यास करके हम फिर से पूर्ण रूप से स्वस्थ बन सकते हैं।