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कल्याण सिंह कैंसर संस्थान में मरीजों के इलाज पर संकट के बादल, डॉक्टरों ने दी सामूहिक इस्तीफे की चेतावनी

Kalyan Singh Cancer Institute

Kalyan Singh Cancer Institute

लखनऊ। चक गंजरिया स्थित कल्याण सिंह सुपर स्पेशिलिटी कैंसर संस्थान ( Kalyan Singh Cancer Institute ) में मरीजों के इलाज पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं। यहां के सभी डॉक्टरों ने एसजीपीआई के बजाय मेडिकल कॉलेज के बराबर वेतनमान देने के आदेश के विरोध में संस्थान की सभी जिम्मेदारियों से इस्तीफा देने की चेतावनी दी है। इसके साथ ही सोमवार से इमरजेंसी को छोड़ बाकी सेवा बंद करने की भी घोषणा कर दी है।

कैंसर संस्थान ( Kalyan Singh Cancer Institute ) में इस समय 27 नियमित डॉक्टर और 100 से ज्यादा रेजिडेंट डॉक्टर हैं। यहां की ओपीडी में रोजाना करीब 200 मरीज आते हैं। बीते दिनों संस्थान के खाली पद भरने की बात हुई है। इसके बाद आठ दिसंबर को विशेष सचिव देवेंद्र कुमार सिंह कुशवाहा की ओर से आदेश जारी किया गया। इसमें कैंसर संस्थान के डॉक्टरों को मेडिकल कॉलेज के बराबर सातवां वेतनमान देने की बात कही गई है। डॉक्टर इसी का विरोध जता रहे हैं।

फैकल्टी वेलफेयर एसोसिएशन के पदाधिकारियों का दावा है कि पहले पीजीआई के समान वेतनमान देने का वादा किया गया था। अब उन्हें मेडिकल कॉलेज के बराबर लाया जा रहा है। इसके विरोध में डॉक्टरों ने संस्थान में संभाली जाने वाली जिम्मेदारियां छोड़ दी हैं। सोमवार से इमरजेंसी को छोड़ बाकी काम-काज भी बंद रहेगा।

मरीजों का बढ़ जाएगा दर्द

राजधानी में केजीएमयू, लोहिया संस्थान और एसजीपीजीआई में भी कैंसर रोगियों का इलाज होता है, लेकिन यहां लंबी वेटिंग रहती है। ऐसे में कल्याण सिंह सुपर स्पेशिलिटी कैंसर संस्थान बहुत बड़ा सहारा है। यहां भर्ती क्षमता अभी कम है, फिर भी ओपीडी में रोजाना करीब 200 मरीज आते हैं। भर्ती मरीजों में से रोजाना आठ से दस की सर्जरी होती है। ऐसे में यहां के डॉक्टरों के काम बंद करने से मरीजों की परेशानी काफी बढ़ जाएगी, क्योंकि अन्य संस्थानों में पहले से ही इतनी वेटिंग है कि इनका नंबर ही नहीं आ पाएगा। इस स्थिति में निजी अस्पताल जाने के सिवाय कोई चारा नहीं बचेगा। हालांकि, यहां इलाज कराना भी हर किसी के बस की बात नहीं है।

बनना है उत्तर भारत का सबसे बड़ा कैंसर अस्पताल

80 एकड़ में फैले कल्याण सिंह सुपर स्पेशिलिटी संस्थान को उत्तर भारत के सबसे बड़े कैंसर संस्थान के तौर पर विकसित किया जाना है। यहां डॉक्टरों के 62 नए पदों को शासन से स्वीकृति मिल गई है। अभी यहां डॉक्टरों के 56, सीनियर रेजिडेंट के 69, जूनियर रेजिडेंट के 63 और आउटसोर्सिंग के माध्यम से 217 पद स्वीकृत थे। इस समय संस्थान में डॉक्टरों के 27 पद ही भरे हैं। सीनियर रेजिडेंट व जूनियर रेजिडेंट भी आधी संख्या में ही काम कर रहे हैं। यही वजह है कि 1200 के बजाय संस्थान में सिर्फ 220 बेड पर ही मरीजों की भर्ती हो रही है।

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निदेशक प्रो. आरके धीमन का कहना है कि कैंसर संस्थान के डॉक्टरों को एसजीपीजीआई के समान छठा वेतनमान मिल रहा है। सातवें वेतनमान के लिए डॉक्टर कोर्ट गए थे। मामला विचाराधीन है, इसलिए इस पर कुछ नहीं किया जा सकता। आठ दिसंबर को जारी हुआ आदेश संस्थान में होने वाली नई भर्तियों के लिए है। इससे उनका लेना-देना नहीं है। डॉक्टरों को यह बात समझाने का प्रयास किया जा रहा है।

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