सनातन धर्म में हर माह में पूर्णिमा की तिथि आती है, लेकिन सनातन शास्त्रों में कार्तिक माह की पूर्णिमा का विशेष महत्व बताया गया है। कार्तिक माह में पड़ने वाली पूर्णिमा तिथि कार्तिक पूर्णिमा (Kartik Purnima) के नाम से जानी जाती है। इस दिन व्रत और गंगा समेत अन्य पवित्र नदियों में स्नान-दान की परंपरा सदियों से चली आ रही है। इस दिन व्रत और स्नान-दान करने से अक्षय पुण्य प्राप्त होता है।
कार्तिक पूर्णिमा (Kartik Purnima) के दिन व्रत और स्नान-दान करने के अलावा दीपदान भी किया जाता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, इस दिन भगवान विष्णु धरती लोक पर माता लक्ष्मी के पास विचरण करते हैं। मान्यता है कि इस दिन जो भी दीपदान करता है, उसे साल भर की पूर्णिमाओं का फल प्राप्त होता है। ऐसे में आइए जानते हैं कि इस दिन कितने दीपक जलाने चाहिए और दीपदान की विधि क्या है?
कार्तिक पूर्णिमा (Kartik Purnima) में कितने दीपक जलाएं?
कार्तिक पूर्णिमा के दिन घर में शुद्ध घी या सरसों के तेल का दीपक जलाना चाहिए। इस दिन पर विषम संख्या जैसे कि 5, 7, 11, 21, 51 या फिर 101 दीपक जलाना शुभ होता है। इस दिन घर के आंगन, छत, मुख्य द्वार और तुलसी के पास भी दीपक जरूर जलाना चाहिए। इससे जीवन में सुख-समृद्धि आती है।
दीपदान की विधि
कार्तिक पूर्णिमा (Kartik Purnima) के दिन सबसे पहले सुबह जल्दी उठकर स्नान कर लें। संभव हो तो पवित्र नदियों विशेषकर गंगा में स्नान करें।
अगर घर के पास नदी न हो तो घर पर ही पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान करें।
आसपास के ही किसी नदी या तालाब में गंगा मां का स्मरण करते हुए भी स्नान कर सकते हैं।
इसके बाद दीपदान करें।
दीपदान करते समय ॐ नमो नारायणाय” व ओम नमः शिवाय मंत्र का जप करें।
दीपदान के लिए शुभ मुहूर्त
कार्तिक पूर्णिमा के दिन दीपदान करने के लिए शुभ मूहुर्त शाम 5 बजकर 15 मिनट पर शुरू होगा। ये मुहूर्त शाम 7 बजकर 50 मिनट तक रहने वाला है। इस मुहूर्त में दीपदान करके शुभ फल मिल सकते हैं।
