शनि देव को सृष्टि संचालन के दंडाधिकारी देवता हैं। इसलिए प्रत्येक जीव को उसके कर्मों के अनुसार फल देते हैं। हिन्दू पंचांग के अनुसार ज्येष्ठ मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि को शनि जयंती (Shani Jayanti) मनाई जाती है। इस दिन शनि देव के निमित्त विशेष पूजा, मंत्र जाप, दान, हवन अनुष्ठान अच्छे संकल्प आदि विभिन्न प्रकार से शनि देव की उपासना की जाती है। इसके साथ ही ज्येष्ठ मास की अमावस्या को ही वट-अमावस्या (बड़ अमावस) या वट सावित्री व्रत भी होता है।
ज्योतिषविद विभोर इंदुसुत कहते हैं कि इस बार शनि जयंती (Shani Jayanti) और वट अमावस्या 30 मई सोमवार को होगी l इस दिन वट वृक्ष (बड़ का पेड़) का पूजन किया जाता है और विवाहित स्त्रियां अपने पति की लम्बी आयु और अपने मांगल्य को बनाए रखने के लिए व्रत करती हैं। साथ ही वट वृक्ष का पूजन कर सावित्री और सत्यवान की कथा सुनती हैं, इस दिन व्रत करने पर स्त्रियों को अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है। इस बार अमावस्या सोमवार को होने से सोमवती अमावस्या भी बन रही है, इसलिए ये महाशुभ संयोग बन रहा है जिसमें शनि जयंती वट सावित्री व्रत और सोमवती अमावस्या तीनो एक साथ पड़ रहे हैं इसलिए इस बार ज्येष्ठ अमावस्या का दिन बहुत अधिक शुभ होगा।
ज्योतिषाचार्य अंकित चौधरी कहते हैं कि इस दिन पूजा पाठ मंत्र जप व्रत और दान आदि करने पर अनंत गुना शुभ फल मिलेंगे। शनि जयंती (Shani Jayanti) का पर्व धार्मिक और आध्यात्मिक दृष्टि से तो विशेष है ही परन्तु ज्योतिषीय दृष्टिकोण से भी इस दिन का बड़ा महत्व है। इस दिन शनि देव के निमित्त की गई पूजा, उपासना, दान और अनुष्ठान आदि बहुत विशेष परिणाम देने वाला होगा।
विशेष उपाय –
- शनि मंदिर में सरसों के तेल का दिया जलाएं।
- ओम शम शनैश्चराय नमः का सामर्थ्यानुसार एक माला, तीन माला, पांच माला जाप करें।
- साबुत उड़द का दान गरीब व्यक्ति को करें।
- अपने पितरों के निमित्त दूध और सफेद मिठाई मंदिर में पंडित जी को दें।
- बुजुर्ग व्यक्तियों को भोजन सामग्री, वस्त्र आदि दान करें।