हिंदू धर्म में एकादशी तिथि का विशेष महत्व माना गया है। हर महीने के कृष्ण और शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि पर व्रत किया जाता है, जो कि जगत के पालनहार भगवान विष्णु को समर्पित होता है। एकादशी के दिन भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा-अर्चना करने का विधान है। हर एकादशी का अपना नाम और अलग महत्व होता है। वैशाख माह कृष्ण पक्ष की एकादशी को वरुथिनी एकादशी (Varuthini Ekadashi) के नाम से जाना जाता है। वैदिक पंचांग के अनुसार, वैशाख माह में वरुथिनी एकादशी व्रत 24 अप्रैल को रखा जाएगा।
धार्मिक मान्यता के अनुसार, वरुथिनी एकादशी (Varuthini Ekadashi) का व्रत करने से व्यक्ति को जीवन में शुभ परिणाम मिलते हैं। ऐसे में अगर आप वरुथिनी एकादशी की पूजा करने वाले हैं और आप चाहते हैं कि आपकी पूजा में कोई बाधा न आए, तो आप पहले पूजा सामग्री को इकट्ठा कर लें, जिससे आपको पूजा का पूरा फल प्राप्त हो सकता है। चलिए आपको बताते हैं वरुथिनी एकादशी की पूजा सामग्री।
वरुथिनी एकादशी (Varuthini Ekadashi) पूजा सामग्री
फल
आम के पत्ते
कुमकुम
अक्षत
पंचमेवा
पीला कपड़ा
दीप
फूल
मिठाई
चौकी
धूप
भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की प्रतिमा
तुलसी के पत्ते
चंदन
भोग
वरुथिनी एकादशी (Varuthini Ekadashi) 2025 डेट और शुभ मुहूर्त
वैदिक पंचांग के अनुसार, वैशाख माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि 23 अप्रैल को शाम 4:43 मिनट से शुरू होगी। वहीं, इस एकादशी तिथि का समापन 24 अप्रैल को दोपहर 2:32 मिनट पर होगा। ऐसे में वरुथिनी एकादशी का व्रत 24 अप्रैल को किया जाएगा।
वरुथिनी एकादशी (Varuthini Ekadashi) पर क्या दान करें?
वरुथिनी एकादशी व्रत का पारण करने के बाद किसी मंदिर या गरीब लोगों में अन्न और धन आदि चीजों का दान करना चाहिए। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, एकादशी व्रत के बाद इन चीजों का दान करने से धन लाभ के योग बनते हैं और आर्थिक तंगी से छुटकारा मिलता है।
एकादशी (Varuthini Ekadashi) पर तुलसी माता को कैसे प्रसन्न करें?
वरुथिनी एकादशी के दिन तुलसी की पूजा-अर्चना करने का विशेष महत्व माना जाता है। इस दिन तुलसी के पास देसी घी का दीपक जलाना चाहिए। साथ ही, जीवन में सुख-शांति के लिए कामना करें। धार्मिक मान्यता है कि इस उपाय को करने तुलसी माता प्रसन्न होती हैं और घर में खुशहाली का आगमन होता है।