मकर संक्रांति (Makar Sankranti) का पर्व 14 जनवरी को मनाया जाएगा। देवकली तीर्थ के महंत प्रमोद जी महाराज और आचार्य राजेश मिश्र शास्त्री का कहना है कि 14 जनवरी मंगलवार को मध्यान्ह 2.58 बजे भगवान भास्कर मकर राशि में प्रवेश कर जाएंगे और इसी के साथ सूर्य उत्तरायण भी हो जाएगा, इसलिए इसका पुण्य काल सम्पूर्ण दिन अर्थात 14 जनवरी मंगलवार को मकर संक्रांति (खिचड़ी) का पर्व खूब धूमधाम से मनाया जायेगा और इसी के साथ खरमास समाप्त हो जायेगा। सूर्य भगवान उत्तर पथगामी हो जायेंगे। इसी दिन खिचड़ी के पर्व में मकर संक्रांति (Makar Sankranti) का पुण्यकाल दायक स्नान दान पूरे देश में किया जायेगा। पूरा दिन ही पुण्यकाल माना जायेगा। सर्वत्र गंगा नदी अन्यत्र अन्य नदी तीर्थ राज प्रयाग कुंभ नगरी त्रिवेणी संगम स्थान विशेष महत्व एवं कुंआ इत्यादि, सरोवर में स्नान किया जायेगा। इस दिन पर खिचड़ी खाइये, खिलाइये और दान कीजिये। ऊनी वस्त्र शाल, कम्बल, खान पान की सामग्री पंचाग दान किया जायेगा। यह पर्व पूरे देश में विभिन्न स्वरूप में मनाया जाता है।
किस राशि का जातक क्या कर सकता है दान-
मेष, वृश्चिक – लाल कम्बल साल, गुड़, मिठी चटनी, घी, गाजर हलुआ, ताम्र पात्र और चना।
वृष, तुला – सफेद साल, चादर, पात्र, बर्तन, चावल, धूली उड़द, पंचाग, पुस्तक, कापी मूली, चीनी दही, घी, मीठा सफेद रजत (चांदी) गौ।
मिथुन, कन्या – हरा कम्बल, साल, चेक, कम्बल, मूंगदाल, मूग पापड़ और हरी सब्जी।
कर्क, सिंह- सफेद बस्त्र, कम्बल, पात्र, अन्न, मिष्ठान, सब्जी, फल, अंगवस्त्र, गौ, नमक, घी, दही,मूली, आदि चावल और खीचड़ी।
धनु, मीन और तुला – पीला कम्बल, साल, पीला वस्त्र, चना दाल, चावल, मीठा, पंचांग, ग्रंथ, जनेऊ, चंदन, स्वर्ण, कमंडल, वस्त्र,बेसन लडडू।
मकर , कुंभ – खिचड़ी, पापड़, मूल, खजूर, रसगुल्ला, तिल, उर्द दाल, तिल लडडू, काला कम्बल, पादुका, पात्र, साबुन, तेल, अचार और मिर्च।
इनका कहना है कि ऐसा माना जाता है कि हर राशि को पांच वस्तुएं अवश्य दान करना चाहिए। चावल, उरद दाल, दही, अचार, तिल के लड्डू। विद्यार्थीयों के लिए पुस्तक, पेन, ग्रंथ, पंचांग, रामायण आदि दान करने से फायदा होता है।