देश के सबसे बुजुर्ग धर्मगुरुओं में से एक डॉक्टर फिलिपोज मार क्रायसोस्टोम दुनिया को अलविदा कह गए। उन्होंने केरल के पाठनमठिट्टा जिले स्थित थिरुवला के एक निजी अस्पताल में 103 साल की उम्र में अंतिम सांस ली। डॉक्टर क्रायसोस्टोम के निधन पर केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने शोक व्यक्त किया है। उन्होंने धर्मगुरु के निधन के देश के लिए बड़ी क्षति बताया है।
डॉक्टर क्रायसोस्टोम का बुधवार रात 1:30 बजे निधन हो गया था। मलंकरा मार थोमा सीरियन चर्च के सबसे वरिष्ठ मेट्रोपॉलिटन अपने ज्ञानवर्धक भाषणों के कारण मशहूर थे। साल 1918 में जन्में क्रायसोस्टोम ने बीती 27 अप्रैल को ही अपना 103वां जन्मदिन मनाया था। क्रायसोस्टोम को कई बार ‘चिरियुडे पिथवु’ कहकर संबोधित किया जाता था। मलयाली में इसका अर्थ था- बुद्धि और ज्ञान के पिता।
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इसके अलावा वे अपने मजाकिया अंदाज के लिए भी खासे मशहूर थे। वे हमेशा देश के धर्म निरपेक्ष आदर्शों के लिए खड़े रहे। उन्होंने हमेशा अपने भाषणों औऱ लेखनी के जरिए लोगों को शिकायत करने के बजाए खुश रहने के लिए प्रेरित किया है। साल 2018 में उन्हें देश के तीसरे सबसे बड़े नागरिक पुरस्कार पद्मभूषण से स म्मानित किया गया। साल 2017 में चर्च ने उनके 100वें जन्मदिन को मनाने के लिए नवोदय मुहिम की शुरुआत की थी। इस मुहिम का मकसद ट्रांसजेंडर समुदाय की भलाई और उन्हें मुख्यधारा में लाने के लिए काम करना था।
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देश के सबसे बुजुर्ग बिशप में से एक उन्हें साल 1944 में पुजारी बनाया गया था। वे 1953 में बिशप बने। इसके बाद साल 1999 में उन्हें मारथोमा चर्च का मेट्रोपॉलिटन बनाया गया था। साल 2010 में रिटायरमेंट तक वे इस पद पर रहे. खास बात है कि अपने जीवन काल में क्रायसोस्टोम पूर्व राष्ट्रपति केआर नारायण और दिवंगत अटल बिहारी वाजपेयी समेत देश के कई बड़े नेताओं के करीबी रहे।