रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने आज कहा कि रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) द्वारा बनायी गयी 2 डीजी दवा देश की वैज्ञानिक शक्ति का उदाहरण है और यह काेरोना महामारी से लड़ने में आशा और उम्मीद की किरण की साबित होगी।
श्री सिंह ने सोमवार को 2- डीओक्सी-डी ग्लुकोज (2-डीजी) दवा को जारी करने के मौके पर कहा कि डा रेडीज लेबोरेट्रीज के साथ मिलकर बनायी गयी यह दवा सरकारी तथा निजी क्षेत्र के बीच भागीदारी का अच्छा उदाहरण है। रक्षा मंत्री ने दवा की उपयोगिता का उल्लेख करते हुए कहा , “मुझे बताया गया, कि इसके प्रयोग से सामान्य उपचार की अपेक्षा लोग ढाई दिन जल्दी ठीक हुए हैं। साथ ही ऑक्सीजन पर निर्भरता भी लगभग 40 फ़ीसदी तक कम देखने को मिली है। इसका पाउडर फॉर्म में होना भी इसकी एक बड़ी खासियत है। ओआरएस घोल की तरह इसका इस्तेमाल लोग बड़ी आसानी से कर सकेंगे। ”
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साथ ही उन्होंने कहा , “ अभी हमें निश्चिंत होने की जरूरत नहीं है, और न ही थकने, और थमने की जरूरत है। क्योंकि कोरोना की लहर दूसरी बार आई है, और आगे भी इस बारे में कुछ निश्चित नहीं है। हमें पूरी सतर्कता के साथ कदम आगे बढ़ाने होंगे। ” उन्होंने कहा, “ हमने हर समय स्थिति को हमने काफी गंभीरता से लिया है। चाहे वह आक्सीजन आपूर्ति का मामला हो, दवा का मामला हो, आईसीयू बैड की बात हो या क्रायोजेनिक टैंकर की व्यवस्था की बात हो, एक सामूहिक प्रयास किया गया है जिसका अच्छा परिणाम सामने आया है।
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कई निर्देश जारी किए हैं जिसके अंतर्गत घर घर जाकर ज्यादा जांच की जा रही है, और आशा तथा आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं को सभी आवश्यक उपकरणों से लैस किया गया है।
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कोरोना के खिलाफ राष्ट्रव्यापी अभियान में सशस्त्र सेना चिकित्सा सेवा के योगदान का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा , “ मुझे यह बताते हुए ख़ुशी होती है कि मेडिकल कोर ने अपने सेवा निवृत डाक्टरों को भी दुबारा सेवा में लाने का निर्णय लिया है ताकि हमारी स्वास्थ्य व्यवस्था को और अधिक मज़बूती दी जा सके। मैं ऐसे चिकित्सकों की हृदय से सराहना करता हूँ जो अपनी सर्विस के बाद भी इस अभियान से जुड़ रहे हैं। हमारी वायुसेना और नौसेना के जहाजों ने भी बड़ी संख्या में ऑक्सीजन सिलेंडर, कंटेनर्स, कंसंट्रेटर्स, टेस्ट किट्स के ट्रांसपोर्टेशन में अपनी भूमिका निभाई है। सैन्य अस्पतालों में भी इलाज की सुविधाओं का तेजी से विस्तार किया गया है। ”
कोरोना के विकट समय में भी सेना की तैयारियों का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा , “ इन सब कठिनाइयों से गुजरते हुए भी हमने यह सुनिश्चित किया है कि सीमा पर हमारी तैयारियों पर कोई प्रभाव न पड़े। हमारी सेनाओं के जोश और उत्साह में कहीं भी किसी प्रकार की कोई कमी नहीं है। हमें यह अच्छी तरह मालूम है, कठिनाई कितनी ही बड़ी क्यूँ न हो, हम उस पर विजय पा लेंगे। ”
उन्होंने कहा कि अब तक हम रक्षा क्षेत्र में डीआरडीओ और निजी भागीदारी की बात करते थे लेकिन आज स्वास्थ्य के क्षेत्र में भी डीआरडीओ और निजी क्षेत्र की भागीदारी का इतना अच्छा परिणाम देख कर खुशी हो रही है।